खरीफ और जायद दोनों मौसम की फसल है, मूंगफली की फसल हवा और बारिश से मिट्टी कटने से बचाती है। खरीफ की आपेक्षा जायद में कीट और बीमारियों का प्रकोप कम होता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र, सीतापुर के वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव बताते हैं, "ये समय मूंगफली की बुवाई का सही समय होता है, बुवाई करते समय बीज शोधन जरूर कर लेना चाहिए। मूंगफली के साथ दूसरी फसले भी लगा सकते हैं, इससे जमीन की मात्रा संतुलित रहती है।"
मूंगफली एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती भारत के 40 प्रतिशत क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। मूंगफली के बीज में 45 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है, तो वहीं 26 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है। ऐसे में आइए आपको इसकी उन्नत खेती (Peanut Cultivation) की तकनीक बताते हैं।
जलवायु और मिट्टी के प्रकार:
मूंगफली की खेती करने के लिए शुष्क जलवायु बहुत ही लाभदायक होती है, यह गेंहू, सरसो, आलू, लहसुन, मसूर, आदि फसलों की कटाई के बाद खाली भूमि में की जा सकती है। मूंगफली की खेती के लिए बलुआ दोमट मिट्टी बहुत ही फायदेमंद होती है, इसके लिए भूरी दोमट मिट्टी का चुनाव नहीं करना चाहिए।
खेत को कैसे तैयार करें:
मूंगफली की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव सही होना चाहिए, इसके बाद खेत की अच्छी तरीके से 2-3 बार कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करना चाहिए, इस मौसम में खेत की आखरी जुताई के दौरान पाटा लगाकर समतल करना चाहिए जिससे सिंचाई करने में आसानी होती है। इसके बाद कम अवधि में पकने वाली गुच्छेदार किस्मों का चयन करें। किसान डीएच-86, आर-9251, आर-8808 आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।
मूंगफली के बीज़ की मात्रा:
जायद में बुवाई मार्च से अप्रैल तक की जा सकती है, जिससे की फसल अच्छी पैदावार दे सके, बुवाई लाइनों में करना चाहिए। लाइन से लाइन की दूरी 25 से 30 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 से.मी.रखनी चाहिए। बीज का चयन रोग रहित उगाई गई फसल से करें, ग्रीष्मकालीन मूंगफली के लिए 95 से 100 कि.ग्रा. की दर से बीज दर प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।
बीज उपचार करने की विधि:
- बुवाई से पहले थायरम 2 ग्राम+ कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीजदर से उपचारित कर ले।
- मूंगफली के बीज को फफूंदीनाशक से उपचार करने के पांच-छह घण्टे बाद बोने से पहले बीज को मूंगफली के राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए।
जायद में मूंगफली की बुवाई का उचित समय:
मूंगफली की बुवाई का उचित समय 5 मार्च से लेकर 15 मार्च तक का होता है। अगर बुवाई में देरी होगी, तो बारिश शुरू होने की दशा में खुदाई के बाद फल्लियों की सुखाई में कठिनाई होती हैं।
सिंचाई किस समय और कब करें:
मार्च महीने में मूंगफली की खेती में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होता है, उच्च तापमान होने की वजह से 4-5 बार सिंचाई करना आवश्यक हो जाती हैं। पहली सिंचाई जमाव पूर्ण होने पर और सूखी गुड़ाई के 20 दिन बाद दूसरी सिंचाई 35 दिन बाद तीसरी सिंचाई 50 से 55 दिन बाद साथ ही हर समय नमीं रहने के लिए गहरी सिंचाई करनी चाहिए, चौथी सिंचाई फलियां बनते समय 70-75 दिन बाद तथा पांचवी सिंचाई दाना बनने के बाद दाना भरते समय करना होता है।
उर्वरक एवं खाद की मात्रा:
रासायनिक खाद की मात्रा में यूरिया 20 किलोग्राम, फॉस्फोरस 60 किलोग्राम, पोटाश 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते है। मूंगफली में गंधक का विशेष महत्व है अतः गंधक पूर्ति का सस्ता स्त्रोत जिप्सम है। जिप्सम की 250 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग बुवाई से पूर्व आखरी तैयारी के समय प्रयोग करें।
मूंगफली की खेती में देशी सड़ी हुई गोबर की खाद से बहुत अच्छा उत्पादन मिलता है, खेत की तैयारी के समय देशी सड़ी हुई गोबर खाद की मात्रा 5-6 टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाना चाहिए। जिससे उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती हैं।
खुदाई और भण्डारण:
भूमि में उपर्युक्त नमी होने पर ही मूंगफली की खुदाई करे, साथ ही जब मूंगफली के छिलके के ऊपर न सें उभर आएं। इसके साथ ही भीतरी भाग कत्थई रंग का हो जाए और दाना गुलाबी रंग का दिखाई दें। ध्यान रहे कि खुदाई के बाद फलियों को छाया में सुखाकर ही रखना चाहिए।