छोटे मकड़ी उन कीटो की श्रेणी में आते है, जो अधिक संख्या में पत्तियों के नीचे जालों से ढंके रहते हैं।
लक्षण:-
1. शिशु एवं वयस्क दोनों प्रकार के किट पत्तो से रस चूसते हैं।
2. जो भी पत्तियाँ प्रभावित होती है, वो किनारो मे मुड़ कर उल्टी नौका जैसे बन जाती हैं।
3. प्रभावित पत्तियों के डंठल लम्बे एवं छोटी पत्तियाँ दाँतेदार होकर गुच्छेदार हो जाती है।
4. अगर पतियों के रंग पर ध्यान दिया जाये तो, पत्तियाँ गहरे धूसर रंग की एवं कम हो जाती है तथा फूल आने बन्द हो जाते है।
5. ज्यादा प्रकोप होने पर फल कड़े एवं सफेद धारीधार हो जाते है।
नियंत्रण:-
1. माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए, घुलनशील सल्फर 80% का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर उस घोल का छिड़काव करें।
2. अधिक प्रकोप की अवस्था में प्रोपरजाईट 57% का 400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें।
3. कीट को फैलने तथा इनके प्रकोप को रोकने के लिये ग्रसित सभी प्रभावित हिस्सों को इकट्ठा करके उन्हें जला कर नष्ट कर देना चाहिये। खेत की दिन- प्रतिदिन सफाई एवं उचित सिंचाई इस कीट को नियंत्रित करती है।