Pea Farming: मटर की बुआई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंत से लेकर 15 नवंबर तथा मध्य भारत के लिए अक्टूबर का प्रथम पखवाड़ा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों व परिस्थितियों के लिए अनुमोदित मटर की उन्नत प्रजातियां जैसे-पूसा प्रभात, पूसा पन्ना, एच.यू. डी.पी. 15, सपना, वी.एल. मटर 42. वी.एल. मटर 45, एस.केएन. पी. 04-9, रचना, अपर्णा, मालवीय मटर-2, मालवीय मटर-15, पंत मटर-25, पंत मटर-13, पंत मटर-43. पंत मटर-74, एच.एफ.पी. 9426, एच.एफ.पी. 907, एच.एफ.पी. 8713, एच.एफ.पी. 8909, एच.एफ.पी. 5239. शिखा, अमन, प्रकाश, विकास, आई. पी.एफ. 99-25. के.पी.एम.आर. 522. के.पी.एम.आर. 400, आई.पी.एफ.डी. 1-10, जे.पी.-885 एवं सपना हैं। इन प्रजातियों की बुआई माह के दूसरे पखवाड़े में करें।
पौधों की पंक्तियों में उचित दूरी खरपतवार की समस्या के नियंत्रण में के लिए काफी सहायक होती है। एक या दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती है। पहली निराई प्रथम सिंचाई के पहले तथा दूसरी निराई सिंचाई के उपरांत ओट आने पर आवश्यकतानुसार करनी चाहिए। मटर की फसल में खरपरवार नियंत्रण पेन्डिमेथिलीन 0.75-1.00 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर का बुआई के तुरंत बाद किन्तु जमाव के पूर्व अथवा बासालिन (0.75-1.0 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर) का बुआई से पहले 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव लाभप्रद है।
बुआई के 25-30 दिनों बाद एक निराई-गुड़ाई अवश्य कर दें। खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए फ्लूक्लोरैलीन 45 प्रतिशत ई.सी. की 2.2 लीटर मात्रा प्रति हैक्टर लगभग 800-1000 लीटर पानी में घोलकर बुआई के तुरन्त पहले मिट्टी में मिलाना चाहिए अथवा पेण्डीमेथलीन 30 प्रतिशत ई.सी. की 3.30 लीटर अथवा एलाक्लोर 50 प्रतिशत ई.सी. की 4.0. लीटर मात्रा प्रति हैक्टर उपरोक्तानुसार पानी में घोलकर फ्लैट फैन नोजल से बुआई के 2-3 दिनों के अंदर समान रूप से छिड़काव करें।