जब किसान रबी की फसल की कटाई कर देता है, तब खेत खाली हो जाते है। जिसके बाद ज़ायद (फ़रवरी से मार्च) फसलों की बुवाई का उचित समय आ जाता है, कम समय में खेती से ज्यादा लाभ कमाने के लिए फसल मक्का की बुवाई कर देना चाहिए।
अन्य फसलों की तुलना मे मक्का कम समय में पकने और अधिक पैदावार देने वाली फसल है। अगर किसान थोड़े ध्यान से और आज की तकनीकी के अनुसार खेती करें, तो इस फसल की अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। मक्का भारत में गेहूं के बाद उगाई जाने वाली दूसरी महत्वपूर्ण फसल है।
कृषि वैज्ञानिक मक्के की खेती (Maize Cultivation) के बारे में बताते हैं कि किसानों को आलू और सरसों की फसल के बाद जल्द ही मक्का की बुवाई कर देना चाहिए, क्योंकि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, मक्का की बुवाई में परेशानी होती है। खास बात यह है कि जायद (फरवरी से मार्च) सीजन में बोई जाने वाली मक्का की किस्में (Maize Varieties) तैयार होने में कम समय लेती हैं, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफ़ा हो जाता है।
मक्का की उन्नत किस्में:
अति शीघ्र पकने वाली किस्मे (75 दिन से कम)- जवाहर मक्का-8, विवेक-4, विवेक-17, विवेक-43, विवेक-42, प्रताप हाइब्रिड मक्का-1 आदि।
बीजोपचार:
फसल को शुरूआती अवस्था में रोगों से बचाने के लिए बीज उपचार बहुत जरूरी है। बीज उपचार पहले फफूदीनाशक से करें, फिर कीटनाशक से व अंत में जैविक टीके से करें। हर चरण के बाद बीज सूखा लें, चरण इस प्रकार है, जैसे:
फफूदीनाशक बीज उपचार - बुवाई पूर्व बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें, इन्हें पानी में मिलाकर गीला पेस्ट बनाकर बीज पर लगाएं।
कीटनाशक बीज उपचार- बीज और नए पौधों को रस चूसक एवं मिट्टी में रहने वाले कीटों से बचाने के लिए कीटनाशक से बीज उपचार जरूरी है। बीज को थायोमेथोक्जाम या इमिडाक्लोप्रिड 1 से 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
जैविक टीके से बीज उपचार- फफूदीनाशक तथा कीटनाशक से उपचार के बाद बीज को एजोटोबेक्टर 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करके तुरंत बुवाई करें।
भूमि की तैयारी:
खेत खाली होने के बाद अच्छी तरह से जुताई करने के बाद फसल की बुवाई के लिए भूमि तैयार के समय 5 से 8 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में मिलानी चाहिए।
खाद व उर्वरक की मात्रा:
1. बुआई से पहले प्रति एकड़ 75 किलोग्राम डीएपी, 50 किलोग्राम पोटाश तथा 10 किलो जिंक सल्फेट और 12 से 15 किलो सल्फर डालें।
2. बुआई के बाद पहली बार बुआई से 20 दिन बाद 50 किलोग्राम यूरिया, दूसरी बार 35 से 40 दिनों में 50 किलोग्राम यूरिया डालें, तीसरी बार 50 किलोग्राम यूरिया +25 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ भुट्टे रेशे निकलते समय डालें।
खरपतवार नियंत्रण:
मक्का की खेती को 30 से 40 दिन तक खरपतवार मुक्त रखना जरूरी है, जिसके लिए 1 से 2 निराई गुड़ाई की जरूरत होती है। पहली गुडाई बुवाई के 25 से 30 दिन पर व दूसरी बुवाई 40 से 45 दिन पर करें।
रासायनिक खरपतवार नियंत्रण:
1. बुवाई के 2 दिन के अंदर एट्राजिन 50 डबल्यू पी या पेंडिमेथालिन 30 ईसी या एलाक्लोर 50 ईसी 1 किलोग्राम प्रति एकड़ या फ्लूक्लोरालिन 45 ईसी 900 मिलीलीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़कें।
2. छिड़काव हेतु फ्लेट फैन या फ्लड जेट नोजल प्रयोग करें।
3. अच्छे परिणाम हेतु एक ही रसायन हर साल न छिड़कें।
मक्का की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है, परन्तु उष्ण क्षेत्रों में मक्का की वृद्धि, विकास एवं उपज अधिक पाई जाती है। यह गर्म ऋतु की फसल है। इसके जमाव के लिए रात और दिन का तापमान ज्यादा होना चाहिए। मक्के की फसल को शुरुआत के दिनों से भूमि में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। जमाव के लिए 18 से 23 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं वृद्धि व विकास अवस्था में 28 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम माना गया है।