टाइप 56-4:
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से लहसुन की इस उपजाऊ किस्म का विकास किया गया है। इस किस्म में लहसुन की गांठे छोटी होती है। इस किस्म से किसान को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 150 से 200 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है।
को.2:
इस किस्म में कंद सफेद होते हैं और अभी तक के रिकॉर्ड के अनुसार इससे किसानों को अधिक उपज मिलती है।
आईसी 49381:
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने इस किस्म का विकास किया है। लहसुन की इस किस्म की फसल 160 से 180 दिनों में तैयार हो जाती है।
सोलन:
लहसुन की इस वैरायटी में पौधों की पत्तियां काफी चौड़ी व लंबी होती हैं, रंग गहरा होता है। अन्य दूसरी वैरायटी की अपेक्षा किस्मों यह अधिक उपज देने वाली किस्म साबित हुई है।
एग्री फाउंड व्हाईट (41 जी):
लहसुन की इस किस्म में भी फसल 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म से लहसुन की उपज 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह किस्म गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि प्रदेशों में बोई जाती है।
यमुना (-1 जी) सफेद:
लहसुन की इस किस्म को संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। इस किस्म की फसल से किसान 150 से 160 दिनों में उपज प्राप्त कर सकते है और प्रति हेक्टेयर उपज 150 से 175 क्विंटल होती है।
यमुना सफेद 2 (जी 50):
इस किस्म को मध्य प्रदेश के लिए उत्तम माना जाता है। 160 से 170 दिन के अंदर इसकी फसल तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उपज 150 से 155 क्विंटल तक होती है।