लहसुन की खेती के आधुनिक तरीके को अपनाएं और अच्छी उपज पाए

लहसुन की खेती के आधुनिक तरीके को अपनाएं और अच्छी उपज पाए
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Sep 26, 2019

लहसुन की खेती मुख्य रूप से गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में की जाती है। लहसुन का 50 प्रतिशत से भी ज्यादा उत्पादन गुजरात और मध्यप्रदेश राज्यों में किया जाता है। आज के समय में लहसुन की मांग और इसकी खेती भी बढ़ रही है। 

भूमि
लहसुन की खेती के लिए दोमट मिट्टी को काफी उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा जिस मिट्टी में कार्बोनिक पदार्थ की अच्छी मात्रा होने के साथ – साथ जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो वह मिटटी इस फसल के लिए सर्वोत्तम है। रेतीली और ढीली भूमि में इसकी उपज कम होती है। 

लहसुन की उन्नत किस्में
एग्रीफाउंड वाइट (जी. 41 ), यमुना वाइट (जी.1 ), यमुना वाइट (जी.50), जी.51 , जी.282 ,एग्रीफाउंड पार्वती (जी.313 ) और एच.जी.1 आदि।

खाद एवं उर्वरक
खाद एवं उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा लहसुन की अच्छी उपज के लिए जरूरी होती है। मिट्टी की जाँच के बाद ही इसमें उचित उर्वरक का उपयोग करे। 

बुवाई का सही समय
लहसुन की बुवाई का सही समय उसके क्षेत्र, जगह व मिट्टी पर निर्भर करता है। इसकी पैदावार अच्छी करने के लिए उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में अक्टूबर - नवंबर माह सही है।

लहसुन की सिंचाई
फसल की बुवाई के तुरंत बाद ही पहली सिंचाई करना अच्छा माना गया है, पहली सिंचाई के बाद इसकी फसल पर लगभग 10 से 15 दिनों के बाद सिंचाई करें। गर्मी के माह में हर सप्ताह इसकी सिंचाई करें, जब इसके शल्ककन्दों का निर्माण हो रहा हो उस समय फसल की सिंचाई सही से करें। 

लहसुन की उपज
लहसुन की फसल की अच्छी उपज कई बातों पर निर्भर करती है। इन बातों के अंतर्गत मुख्य रूप से लहसुन की अच्छी किस्म, भूमि की उर्वरा शक्ति एवं फसल की देखरेख भी शामिल है। इसके अतिरिक्त लंबे दिनों वाली किस्में ज्यादा अच्छी उपज देती है। जिसमें करीब प्रति हेक्टेयर से 100 से 200 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो जाता है। 

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline