भारत में चावल को खाने में बड़े चाव से खाया जाता है कई किस्मो के बारे में आपने सुना होगा जैसे की बासमती-उसना से लेकर सेल्हा चावल तक के नाम आप जानते होंगे, लेकिन हम यकीन दिलाते है की इस चावल की किस्म के बारे में आपको जानकर आश्चर्य होगा, क्युकी ये ऐसा चावल है जिसे पकाने की जरुरत नहीं पड़ती। चावल का ये किस्म असम में मिलती है, जिसे 'बोका चाउल' और ओरीजा सातिवा भी कहा जाता है। इस चावल को GI (जियोग्राफिकल इंडिकेशंस) का टैग भी मिल चुका है।
इसकी खेती असम के कोकराझर, बारपेटा, नलबारी, बक्सा, धुबरी, दररंग और कामरूप जैसे जिलों में की जाती है। इस चावल को साल के जून के महीने में बोया जाता है। इस चावल की खासियत ये है की इसे सिर्फ पानी में भिगो देने से ही ये खाने लायक हो जाता है।
असम में ये चावल काफी प्रसिद्ध है और इसे आप दही, दूध और गुड़ के साथ खा सकते है। अगर इस चावल से जुड़े इतिहास की बात करे तो कहा जाता हैं कि मुगल सेना से लड़ने के लिए अहोम सैनिक युद्ध के समय इसका इस्तेमाल किया गया था। सैनिक इसका इस्तेमाल युद्ध के दौरान राशन के लिए करते है।