कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की सोयाबीन की खास किस्म, जो अब मटर को देगी टक्कर, किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा

कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की सोयाबीन की खास किस्म, जो अब मटर को देगी टक्कर, किसानों को मिलेगा अच्छा मुनाफा
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Kisaan Helpline

Crops May 09, 2024

सोयाबीन की फसल किसानों के लिए सोने से कम नहीं है और पिछले दो-तीन साल से सोयाबीन की खेती में लगातार घाटा हो रहा है। सोयाबीन का उत्पादन कम होने और लागत बढ़ने से किसानों को नुकसान हुआ है। इसके साथ ही सोयाबीन की खेती से अधिक मुनाफा कमाने की उम्मीद रखने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म विकसित की है जो एक बीघे में लाखों की कमाई दे सकती है. इस किस्म का नाम एनआरसी 188 सोयाबीन (New variety soybean NRC 188) है। आइए जानते हैं कि सोयाबीन की यह किस्म किसानों को कैसे अधिक मुनाफा देगी..... 

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने 2024 में सोयाबीन की एक नई किस्म एनआरसी-188 पर शोध किया है। अगर यह सोयाबीन की नई किस्म है तो यह अच्छा उत्पादन देती है। सोयाबीन की यह नई किस्म मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पाई जाती है।

इंदौर स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों ने करीब सात साल के शोध के बाद सोयाबीन की एक विशेष किस्म विकसित की है, जिसे हरी मटर की तरह सब्जी के रूप में खाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रोटीन से भरपूर यह किस्म देश में कुपोषण को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है।

सोयाबीन एनआरसी 188 किस्म (Soybean NRC 188 variety): सोयाबीन की इस उन्नत किस्म में जब पौधे पर फूल आते हैं तो ये फूल बैंगनी रंग के होते हैं। इनकी फलियाँ थोड़ी चिकनी होती हैं। फिर भी आप इन्हें मटर की तरह खा सकते हैं. सोयाबीन की यह किस्म एनआरसी 188 मध्य विस्तार के लिए उपयुक्त है। सोयाबीन की इस नई किस्म एनआरसी 188 के बीज मुख्य खेत में बोने के 77 दिन बाद पक जाते हैं और खेतों में इस किस्म के बीजों का अंकुरण भी सोयाबीन की अन्य किस्मों की तुलना में बेहतर होता है। इसकी खेती में एक हेक्टेयर में चार से आठ टन तक हरी फलियां पैदा होती हैं।


'सोयाबीन एनआरसी 188' (Soybean NRC 188) नाम की इस किस्म को विकसित करने वाली दो सदस्यीय अनुसंधान टीम का हिस्सा रहे प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विनीत कुमार ने कहा, "सोयाबीन की इस किस्म की हरी फली के दानों में सुक्रोज (शक्कर का एक स्वरूप) होने से इसमें थोड़ी मिठास होती है। यह खूबी सोयाबीन की अन्य किस्मों में नहीं पाई जाती।"

वनस्पति सोयाबीन क्या है?
सोयाबीन की यह किस्म गंध रहित होती है। इस सोयाबीन का उपयोग मटर की तरह किया जा सकता है, अर्थात जिस प्रकार हरी अवस्था में मटर की फली का उपयोग किया जाता है, उसी प्रकार एनआरसी-188 सोयाबीन किस्म (नई सोयाबीन किस्म एनआरसी 188) की फलियों का भी उपयोग किया जा सकता है। है। सोयाबीन की इस नवीनतम किस्म के दानों का स्वाद बिल्कुल मटर जैसा होगा। इस किस्म की फलियों का उपयोग सब्जी बनाने में आसानी से किया जा सकता है।

सोयाबीन की नवीनतम किस्म की पैदावार कितनी होगी
सोयाबीन की यह किस्म किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होने वाली है। नई किस्म सोयाबीन एनआरसी 188 की उपज सोयाबीन की अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है। यह किस्म किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस किस्म का उत्पादन एक हेक्टेयर में 40 से 45 क्विंटल होगा। सोयाबीन की इस किस्म की फली 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिकेगी। इसे बेचकर किसान एक हेक्टेयर से 1.50 लाख रुपये कमा सकते हैं।

एनआरसी 188 के बीज कहां से प्राप्त करें: प्राप्त जानकारी के अनुसार सोयाबीन की नवीनतम किस्म एनआरसी 188 के बीज कृषि अनुसंधान केंद्र, इंदौर में उपलब्ध हैं। इसके अलावा किसान अन्य बीज कंपनियों से भी एनआरसी 188 बीज खरीद सकते हैं।

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