कोदो बाजरा (Kodo Millets) बहुत ही सूखा प्रतिरोधी फसल है। यह सभी खाद्यान्नों में सबसे मोटा होता है। कोदो (Paspalum scrobiculatum) एक तरह का अनाज है जो बहुत कम बारिश में पैदा हो सकता है। कोदो बाजरा बड़े पैमाने पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में विकसित होता है। कोदो बाजरे की खेती अरुणाचल प्रदेश के झूम क्षेत्र में भी की जाती है।
आइये जानते है कोदो बाजरा की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी:
बीज की मात्रा
पनीरी द्वारा बीज बोने के लिए 800 ग्राम प्रति एकड़ और सीधी बुवाई के लिए 2.5 से 3 किलोग्राम प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है।
बुवाई का समय
कोदो बाजरा की बुवाई अप्रैल से मध्य मई के बीच कभी भी की जा सकती है। कोधरा की खेती के लिए गर्म शुष्क पानी और हवा की आवश्यकता होती है। कोधरा की फसल में सूखे को झेलने की क्षमता होती है, इसलिए कोधरा की फसल की खेती के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। कोधरा की फसल पकने में 130 से 150 दिन का समय लेती है। कोधरा अनाज का उत्पादन 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होता है और 30-35 क्विंटल चारा उपलब्ध होता है। बोने से पहले, कोधरा के बीजों को पानी और कच्चे दूध के मिश्रण में 12 घंटे के लिए भिगो दें। 1 लीटर पानी में एक गिलास ताजा गाय का दूध (उबला हुआ नहीं) मिलाकर उसमें काले बीज भिगो दें। 10-12 घंटे तक भिगोने के बाद छनी हुई राख को बीज पर लगाकर सुखा लें और फिर बुआई कर दें।
जीवाणु बीज उपचार
कोदो बाजरा के बीजों को 10 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद Azospirillum Brasilense (नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया) और Aspergillus Awamon (फॉस्फेट घुलनशील कवक) @ 25 ग्राम प्रति 1 किलो बीज के साथ इलाज किया जा सकता है जो पौधे को नाइट्रोजन और फास्फोरस प्रदान करने में मदद करता है।
पनीरी की बजाई का तरीका
एक एकड़ की पनीरी एक मरला (165x165 फुट जगह में बीजें जमीन की जुताई करके सुहागा लगाकर समतल कर लें। जमीन ऊँची नीची न हो। अब इसमें 800 ग्राम बीज का दो बार छीटा दें और तांगली या पंजे के साथ बीज को ऊपर की मिट्टी में मिला दें। अगर संभव हो तो क्यारी की भूसे पराली के साथ मल्चिंग कर दे और पानी लगा दे। 3-4 दिन बाद जब बीज हरा हो जाए तो शाम के समय भूसे पराली की तह हटा दो। 20-25 दिनों में पनीरी खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाती है।
पनीरी को 3 तरीकों से खेत में लगाया जा सकता है:
1) पलेवा करने के बाद जब जमीन वत्तर आ जाए तो हल चलाकर, सुहागा लगाकर जमीन को समतल कर लें। अब 1-1 कनाल की क्यारी बना कर खेत में पानी भर दें। जब खेत पानी सोख लें तब उसमें कोधरे की पनीरी शाम के समय लाइनो में लगाए। लाइन से लाइन की दूरी डेढ़ फुट और पौधे से पौधे की दूरी 1 फुट रखें।
2) रिजर (आलू वाले हल) के साथ खेत में मेड तैयार कर लें। अब. खालियों को पानी से भर दें। जब मेड़ों पर अच्छी तरह से नमी / सिलाब चढ़ जाए तब 1-1 फुट की दूरी पर मेड़ो पर पौधे लगाएं। (एक खाली बंद करके भी पानी लगाया जा सकता है)
3) बैंड मेकर के साथ 2 फुट चौड़ाई वाले बैड तैयार करो। खालियों में पानी लगाओ और शाम के समय पनीरी को 1-1 फुट की दूरी पर खाली के किनारे से 6 इंच बैड के अंदर की तरफ लगाएं। अगर संभव हो तो वैड के ऊपर सुखा भूसे / पराली के साथ मल्चिंग करें।
सीधी बिजाई के माध्यम से कोदो बाजरा की खेती
ढाई से तीन किलो बीज को 12 घंटे दूध और पानी के घोल में भिगो कर राख में अच्छी तरह से मिलाकर सुखाने के बाद अच्छी तरह से सिंचित नमी पूर्ण जमीन में हैपी सीडर या सीड ड्रिल के साथ बिजाई की जा सकती है। लाइन से लाइन की दूरी डेढ़ से दो फुट रखो। पौधे से पौधा 10 सेंटी मीटर और बीज की गहराई 2-3 सेंटी मीटर रखो।
खरपतवार नियंत्रण
कोदो बाजरा की फसल में से खरपतवार खत्म करने के लिए त्रिपाली, कसिये या खुरपी के इस्तेमाल से कम से कम 2 गुड़ाई करनी जरूरी है।
सिंचाई प्रबंधन
मूल अनाजों की खेती के लिए कोशिश करो की इन्हें कम से कम पानी लगाकर पकाया जाए। बारिश के मौसम को ध्यान में रखकर और मिट्टी की नमी को देखकर इन्हें 1 से 2 सिंचाई की ही जरूरत होती है। सिंचाई करते समय खेत में 200 लीटर प्रति एकड़ गुड़ जन अमृत या वेस्ट डीकॉम्पोसर का पोल छोडे।
कीट और रोग प्रबंधन
कोदो बाजरा आम तौर पर कीटों और बीमारियों से मुक्त होता है। सिंचाई के पानी का जितना कम उपयोग होगा, कीट या बीमारी आने की संभावना उतनी ही कम होगी और पौधे की जड़ें मजबूत होंगी और फसल नहीं गिरेगी। कम पानी लगाने से दाना अच्छे से पकता है और उसका वजन भी बढ़ता है। छिलका पतला रहता है जिससे प्रति क्विंटल दाने का भार अधिक तथा छिलके का वजन कम होता है।
अंतर - फसल
कोदो बाजरा की फसल में मूंगा या उड़द (2.1) को अंतर फसल के रूप में बोया जा सकता है।
फसल की कटाई
जब कोदो बाजरा की बालियां हरे रंग से पक कर पीले भूरे रंग की हो जाए तब फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है। कोदो बाजरा के पौधे में दाने पकने के बाद पौध लगभग हरा ही रहता है दाने पकने के बाद कोदो बाजरा की फसल पकने के बाद पूरा पौधो जमीन के पास से काट ले और 2-3 दिन खेत में ही सुखने दें। दानों को प्रेशर की मदद से नाड़ से अलग किया जा सकता है। कोदो बाजरा की फसल को पकने के समय मौसम में नमी ना हो नहीं तो कोदो बाजरा के दाने को उल्ली लगने का डर रहता है और ऐसे दाने खाने पर फूड पोइजनिंग हो सकती है।