Soybean Ki Kheti: सोयाबीन की खेती खरीफ के मौसम में प्रमुख रूप से की जाती है। खरीफ फसलों की बुवाई के लिए किसान खेत तैयार करने में जुटे हुए हैं। मानसून आते ही किसान बुवाई शुरू करेंगे। ऐसे में किसान अपने खेत पर स्वयं का सोयाबीन का बीज उत्पादन कर सकते है। तो आइये जानते है इस तरीकों के बारे में:
बीज उत्पादन के लिए प्रजनक / आधार बीज मान्यता प्राप्त स्रोत से प्राप्त करें।
खेत के 1/10 भाग से उत्पादित बीज संपूर्ण खेत में बोवनी हेतु पर्याप्त होगा अतः इसे आरक्षित कर अनुशंसित तकनीकी का प्रयोग करें।
यह सुनिश्चित करें कि जिस किस्म का बीज उत्पादन किया जा रहा है। वह उसी खेत में पिछले वर्ष में न उगाई गई हो एवं खेत में जल निकास का उचित प्रबंध हो ।
बोवनी से पहले खेत की गहरी जुताई एवं विपरीत दिशा में बखर चलाने के पश्चात् पाटा चलाकर खेत को समतल करें।
मानसून के आगमन के पश्चात् 45 से.मी. कतार से कतार की दूरी एवं 15 से.मी. बीज की दूरी रखते हुए अधिकतम 3 से.मी. की गहराई पर उपयुक्त सीड ड्रील से बोवनी करें।
न्यूनतम 70% अंकुरण के आधार पर अनुशंसित 60-80 कि. ग्रा. बीज दर का प्रयोग करें।
बोवनी से पहले सोयाबीन के बीज को थाइरम एवं कार्बेन्डाजिम (2:1) 3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से अथवा मिश्रित उत्पाद कार्बोक्सिन 37.53% + थाइरम 37.5% (विटावेक्स पावर) 2-3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। इनके स्थान पर बीज उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा विरिडी (8-10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) का भी उपयोग किया जा सकता है। तत्पश्वात् जैविक खाद (ब्रेडीराइजोबियम कल्चर एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से) से उपचारित कर तुरंत बोवनी करे।
समुचित पोषण प्रबंधन हेतु अनुशंसित 20:60:20:20 कि.ग्रा./हे. की दर से आवश्यक नत्रजनः स्फुरः पोटाश: गंधक की पूर्ति हेतु बोवनी के समय विभिन्न उर्वरकों का प्रयोग करें।
फसल सुरक्षा हेतु विभिन्न जैविक (कीट/बीमारी /खतपतवार आदि) एवं अजैविक तनावों (सुखा / अतिवृष्टि आदि) से होने वाली उत्पादन में संभावित कमी को टालने हेतु समय-समय पर खेत की निगरानी कर उनका प्रबंधन करें। निरीक्षण के दौरान खेत में पाये गये अवांछित कीट एवं रोगग्रस्त पौधे, खरपतवार आदि को नष्ट करें।
पत्तियों का आकार, फूलों के रंग, फलियों पर रोएं आदि लक्षणों के आधार पर अवांछित/ अलग किस्म के पौधों की पहचान कर उन्हें नष्ट करें।
पौधे, फूल एवं दाना भरने की अवस्थाएं मृदा नमी के लिए क्रांतिक अवस्थाऐं है। अतः इस समय सुखा पड़ने पर सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। इस निदेशालय द्वारा विकसित बीबीएफ् सीड डील एवं फर्ज सीड ड्रील द्वारा बोवनी करने पर सुखा एवं अधिक वर्षा से होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।
पत्तियों का हरा रंग बदलने या पूर्णतया समाप्त होने पर यह मान लें कि फलियां परिपक्व हो चुकी है। इस अवस्था में सोयाबीन की कटाई करनी चाहिए। कटी हुई फसल को 2-3 दिन धूप में सुखाकर थ्रेशर से धीमी गति (300-400 आर. पी. एम.) पर गहाई करनी चाहिए एवं इस बात की सावधानी रखें कि गहाई के समय बीज के छिलके को क्षति न हों।
गहाई के बाद बीज को धूप में अच्छे से सुखाकर भण्डारण करना चाहिए। भण्डार गृह ठंडा, नमीरहित व हवादार होना चाहिए। यहां यह भी सावधानी रखें कि 4 से अधिक बोरियों को एक के उपर एक न रखें। बीज की बोरियों को उँचाई से नहीं पटकना चाहिए। इससे बीज की अंकुरण क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।