किसान दिसंबर माह में भी कर सकते है गेहूं की पछेती बुवाई, जानें अधिक उपज देने वाली गेहूं की पछेती किस्म के बारे में

किसान दिसंबर माह में भी कर सकते है गेहूं की पछेती बुवाई, जानें अधिक उपज देने वाली गेहूं की पछेती किस्म के बारे में
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Nov 25, 2023

Wheat Cultivation: देश में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे देश के कई राज्य गेहूं उत्पादन के मामले में शीर्ष पर हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए गेहूं का उत्पादन बढ़ाने की अधिक आवश्यकता है। ऐसे में जो किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पाए हैं वे गेहूं की देर से बुआई कर सकते हैं। गेहूं की देर से बुआई के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। इससे गेहूं का उत्पादन भी अच्छा होगा और मुनाफा भी मिलेगा।

किसान भाई पछेती गेहूं के लिए अधिक उपज देने वाले बीज एवं उन्नत तकनीक का प्रयोग कर कम दिनों में अच्छी उपज प्राप्त कर सकते है। पछेती गेहूं की बुआई 1 दिसंबर से 25 दिसंबर तक होती है। उस दौरान किसानों को 105 से 115 दिन की अवधि का गेहूं का बीज खरीदना चाहिए। 

डीबीडब्ल्यू-173 किस्म की बुआई 

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि डीबीडब्ल्यू-173 किस्म की बुआई नवंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर तक की जा सकती है। किसान इस किस्म को बासमती धान, कपास, गन्ना और आलू की कटाई के बाद लगा सकते हैं।

अब देर से बोई जाने वाली गेहूं की किस्में भी अधिक उत्पादन दे सकेंगी। इस किस्म का आविष्कार गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा किया गया है। DBW-173 किस्म की बुआई नवंबर के अंतिम सप्ताह से दिसंबर तक की जा सकती है। किसान बासमती धान और कपास के बाद इस किस्म की बुआई कर सकते हैं। यह किस्म 115 से 120 दिन में पक जाएगी। इसकी अधिकतम उपज 57 क्विंटल और औसतन 47.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है। इसके बीज भी संस्थान में उपलब्ध हैं। राज्य के जो किसान पछेती किस्म की बुआई करना चाहते हैं वे भारतीय गेहूं एवं गेहूं अनुसंधान, करनाल से संपर्क कर सकते हैं, उन्हें इसका बीज उपलब्ध कराया जाएगा। किसान 10 दिसंबर तक डीबीडब्ल्यू 222, 187, 303 और 327 की बुआई कर सकते हैं। इनका उत्पादन भी अच्छा होता है। इसमें किसानों को खाद-बीज का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

गेहूं में पहली सिंचाई कब करें

गेहूं में पहली सिंचाई बुआई के 20 से 22 दिन बाद करें। इस समय गेहूं की जड़ें बनने लगती हैं और यह सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस अवस्था में गेहूं की जड़ें मिट्टी में समा जाती हैं और अगर यह सिंचाई नहीं की गई तो गेहूं की जड़ें मिट्टी में गहराई तक नहीं जा पाएंगी। और जिसके कारण वे मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाएंगे और पौधे कमजोर हो जाएंगे। यदि आपने नवंबर या दिसंबर में गेहूं की बुआई की है तो पहली सिंचाई 24 से 28 दिन पर करें, क्योंकि उस समय ठंड कुछ बढ़ जाती है और रात में ओस भी अधिक होती है।

गेहूं की खेती में खरपतवार नियंत्रण ऐसे करें 

जंगली मटर, बथुआ, हिंदखुरी आदि की रोकथाम के लिए 500 ग्राम 2,4 डी सोडियम नमक 80% को 250 लीटर पानी में घोलकर बुआई के 30-35 दिन बाद प्रति एकड़ छिड़काव करें। जंगली जई, मंडूसी के लिए 500 ग्राम आइसोप्रोट्रान 75% या 480 मिली प्यूमा सुपर या 160 ग्राम टॉपिक को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

किसान गेहूं की पछेती किस्मों की बुआई ऐसे करें 

इसके बाद गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए खाद और उर्वरक बहुत जरूरी है। इसके लिए गेहूं के बीज बोने से पहले प्रति एकड़ के हिसाब से अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए। खेत की तैयारी के समय खेत में जिंक व यूरिया डालें तथा ड्रिल के माध्यम से डीएपी उर्वरक डालें। बुआई के समय प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी, 45 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट दें। पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया दें। 
पहली सिंचाई तीन से चार सप्ताह बाद करें। इसके बाद कलियाँ फूटते समय, गाँठें बनने पर, बालियाँ निकलने से पहले, दूधिया अवस्था में तथा दाने पकने पर सिंचाई करें। 
किसान गेहूं की पछेती किस्म WH-1124 और 1184 की भी बुआई कर सकते हैं। यह किस्म भी अच्छा उत्पादन देती है। यह किस्म हरियाणा के लिए बहुत अच्छी है। यह किस्म नरम कपास वाले क्षेत्रों में बहुत अच्छी पैदावार देती है। इन किस्मों की बुआई करके किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline