Chilli Farming: मिर्च एक ऐसी फसल है जो न सिर्फ आपके भोजन को तीखा बनाती है बल्कि उसका स्वाद भी बढ़ाती है। मिर्च में कई विटामिन, कैल्शियम और लाभकारी तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। हरा होने पर इसे कच्चा खाया जाता है, सब्जी आदि में या सलाद के साथ प्रयोग किया जाता है और सूखने के बाद मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। मिर्च की खेती भारत में कई जगहों पर की जाती है। क्या आप भी मिर्च की खेती करना चाहते हैं और आप मिर्च की खेती से जुड़ी पूरी और सही जानकारी चाहते हैं, तो आइए मिर्च की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
मिर्च की खेती के लिए सही मौसम
दरअसल, मिर्च की खेती साल के किसी भी मौसम में की जा सकती है. लेकिन इसकी खेती के लिए गर्म आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है. मिर्च की खेती के लिए तापमान 15 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। इसकी खेती सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसमों में की जा सकती है।
मिर्च की खेती सर्दी के मौसम में जून से जुलाई तक और गर्मी के मौसम में दिसंबर से जनवरी तक की जाती है। मिर्च की खेती अधिक जल भराव की स्थिति में नहीं की जाती है। इसलिए ध्यान रखें कि बरसात के मौसम में इसकी खेती ऐसी जगह पर करें जहां जलभराव न हो।
मिर्च की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली मिट्टी, जिसमें कार्बनिक पदार्थ अधिक हों, की आवश्यकता होती है। लवण एवं क्षार युक्त भूमि इसके लिए उपयुक्त नहीं होती है। खेत को तीन-चार बार जुताई करके तैयार करना चाहिए. प्रति हेक्टेयर खेती के लिए 1.25 से 1.50 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
ये हैं ध्यान देने वाली बातें
प्रति क्यारी में 50 ग्राम फोरेट एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलायें। बीज को प्रति किलोग्राम 2 ग्राम एग्रोसन जीएन, थीरम या कैप्टान रसायन से उपचारित करें। बीज को एक इंच की दूरी पर कतारों में बोयें और उन्हें मिट्टी व खाद से ढक दें। शीर्ष को पुआल या खरपतवार से ढक देना चाहिए। बीज जमने के बाद खरपतवार निकाल दें। पौधों की बुआई 25 से 35 दिन में की जा सकती है. रात में पौधारोपण करें. रोपण करते समय कतार और पौधों के बीच 45 सेमी की दूरी होनी चाहिए। हरी मिर्च 85 से 95 दिन में फल देने लायक हो जाती है. सूखी मिर्च के फलों को 140-150 दिन बाद जब रंग लाल हो जाये तो तोड़ लेना चाहिए।
प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल गोबर या कम्पोस्ट, 100 क्विंटल नाइट्रोजन, 50 क्विंटल फास्फोरस और 60 क्विंटल पोटाश की आवश्यकता होती है. रोपाई से पहले खाद में फास्फोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा देनी चाहिए; फिर दो खुराक में शेष मात्रा देनी चाहिए।
यदि वर्षा कम हो तो 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फसल में फूल आने तथा फल बनने के समय सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई न करने पर फल एवं फूल छोटे हो जाते हैं। खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए ताकि अच्छी फसल प्राप्त हो सके।
मिर्च की खेती करते समय इन बातों का रखें ध्यान
मिर्च एक नाजुक फसल है और थोड़ी सी लापरवाही इसकी फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए आपको मिर्च की खेती करते समय कुछ बातों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले जल निकासी का पूरा ध्यान रखें, क्योंकि यदि मिर्च के खेत में अधिक मात्रा में पानी रहेगा तो फसल की जड़ें सड़ जाएंगी और फसल बर्बाद हो जाएगी। मिर्च की फसल पाले से अधिक प्रभावित होती है। इस बात का भी ध्यान रखें।
अब आपको मिर्च की खेती के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल गई है, जिसकी मदद से आप पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं। ध्यान रखें कि मिर्च की खेती करते समय आपको शुरू से अंत तक सावधानी बरतनी चाहिए. फसल की बुआई से लेकर कटाई तक देखभाल करें। उन्नत बीज लगाएं। जैविक पद्धति से खेती करें। गोबर की खाद का प्रयोग करें। अधिक उपज के लिए सभी बिन्दुओं को अपनायें।