सर्दी के मौसम में शीत लहर और पाला पड़ने से सभी फसलों को थोड़ा बहुत नुकसान होता है। टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता और केले के पौधे और मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम आदि सब्जियों से अधिकतम 80 से 90% तक नुकसान हो सकता है। अरहर में 70 फीसदी, गन्ने में 50 फीसदी और गेहूं व जौ में 10 से 20 फीसदी तक नुकसान हो सकता है।
वर्तमान समय में किसान अफीम की फसल को बचाने की चुनौती से जूझ रहे हैं। कोहरा व पाला से अफीम की फसल बर्बाद हो रही है। फसल को बचाने के लिए किसान मंहगी दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं। पर किसान अपनी कोशिश में कामयाब होते नहीं दिख रहे। साथ ही किसान कोहरा और पाले से बचाने के लिए कई तरह के अनोखे प्रयोग कर रहे है।
आपको बता दें की देश में अफीम की खेती मध्यप्रदेश राज्य के नीमच-मंदसौर और आसपास के क्षेत्रों में अधिक होती है। किसान अपनी इस महंगी फसल को पाले से बचाव के लिए अनेक तरीकों का अपना रहे है। और अपनी इस कीमती फसल को बचाने के लिए किसान कही रात के समय खेत की मेड़ो पर धुँआ कर रहे है तो कही सिंचाई। किसान अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत और साथ में बहुत खर्चा भी कर रहे है। फसल को पाले से बचाव के लिए किसान अपनी फसल के ऊपर त्रिपाल ढक रहे हैं। त्रिपाल के उपयोग से किसान की अतिरिक्त लागत लग रही है किन्तु इसके इस्तेमाल से फसल को काफी हद तक सुरक्षित रख सकता है।
पाले व शीत लहर से फसलों को बचाने के उपाय
- खेत की उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे बोई गई फसलों के आसपास रात के समय मेड़ पर कूड़ा करकट, रात के लगभग 12:00 से 2:00 बजे जब पाले की संभावना है- कूड़ा करकट या अन्य बेकार घास को जलाकर धुंआ करना चाहिए, जिससे खेत में धुंआ रहे और वातावरण में गर्मी बनी रहे. धूम्रपान करने के लिए उपरोक्त पदार्थों के साथ कच्चे तेल का भी उपयोग किया जा सकता है। इस विधि से तापमान को आसानी से 4°C तक बढ़ाया जा सकता है।
- नर्सरी के पौधों और खेत के बगीचों/नकदी सब्जियों की फसलों को जूट की थैलियों, पॉलिथीन या पुआल से ढक दें। हवा आने वाली दिशा वाले भाग में वायुरुद्ध टटिया बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगा दें और दिन में फिर से हटा दें।
- पाला पड़ने की संभावना होने पर खेत में सिंचाई कर देनी चाहिए। नम मिट्टी लंबे समय तक गर्मी बरकरार रखती है और मिट्टी का तापमान कम नहीं होता है। ऐसे में पर्याप्त नमी नहीं होने पर शीत लहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है। सर्दियों में फसल की सिंचाई करने से तापमान 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।
- जिन दिनों पाला पड़ने की सम्भावना हो उन दिनों फसलों पर सल्फ्यूरिक अम्ल के 0.1% घोल का छिड़काव करना चाहिए। इसके लिए 1000 लीटर पानी में 1 लीटर सल्फ्यूरिक एसिड घोलकर प्लास्टिक स्प्रेयर से एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करने का प्रभाव 2 सप्ताह तक रहता है। इस अवधि के बाद भी यदि शीत लहर पाले की संभावना बनी रहती है तो 15-15 दिन के अन्तराल पर सल्फ्यूरिक अम्ल का छिड़काव दोहराते रहें।
- सरसों, गेहूं, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड का छिड़काव न केवल पाले से बचाता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व और रासायनिक क्रिया को भी बढ़ाता है, जिससे पौधों और फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह जल्दी पकाने में मदद करता है।
- दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए यदि शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी और जामुन आदि वायु अवरोधक वृक्ष खेत की उत्तर-पश्चिम मेड़ पर तथा बीच में उपयुक्त स्थान पर लगाये जाएँ तो पाला और ठंडी हवा से फसल को झोंकों से बचाया जा सकता है।