कोरोना काल में बंदिशें झेल रहे किसान अब खरीफ फसल की तैयारी के लिए खेतों का रुख करने लगे हैं, लेकिन प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में महामारी जिस तरह से पैर पसार रही है उसमें किसानों के लिये खेती भी जोखिम का काम हो गया है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे वैश्विक महामारी के दौरान गाइडलाइन की पालना करते हुए कृषि कार्य करें। वही दूसरी और देश में एक और चक्रवाती तूफान का खतरा मंडरा है। बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र अब खतरनाक तूफान में बदल गया है। ताजा खबर यह है कि बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न चक्रवात यास लगातार खतरनाक होता हुआ पश्चिम-उत्तर पश्चिम दिशा में बढ़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटों में इसके अति गंभीर श्रेणी के चक्रवात में परिवर्तित होने का अंदेशा है।
कृषि संबंधित कार्य
अब समय आने वाला है खरीफ प्याज की बुवाई का 15 जून के लगभग किसान भाई प्याज की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना शुरू कर देते। इस बीच किसान भाई मई माह में ही खेत की तैयारी पूरी कर ले, फसलों के अवशेष खेत से बाहर कर लें, पशुचारे को व्यवस्थित भंडारित कर लें, खेत की अच्छी गहरी 2-3 जुताई कर ले, अंतिम जुताई के समय रोटरवेटर या पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा और समतल कर लें, अच्छे जलनिकास की व्यवस्था करें जिससे की खेत में पानी भराव की समस्या न रहे और फसल सुरक्षित रहें।
प्याज की खेती संबंधित कार्य
खरीफ प्याज की खेती करने में रूचि रखने वाले किसानों भाइयों को किसान हेल्पलाइन की सलाह हैं बुवाई के लिए प्याज के बीज अच्छा उत्पादन देने वाली और उन्नत किस्म के बीजों का ही चयन करें, नर्सरी में बीज बुवाई से पूर्व बीजों को फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए बीज उपचारित करना आवश्यक होता हैं, बीज उपचार करने के लिए रासायनिक फफूंदनाशक मैंकोजेब या थीरम या केप्टान का प्रयोग कर सकते हैं तथा जैविक बीज उपचार के लिए ट्राइकोडर्मा या स्यूडोमोनास का प्रयोग कर सकते हैं। नर्सरी तैयार करने से पूर्व खेत तैयारी के समय वर्मीकम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद डालें, ध्यान गोबर की खाद पूरी तरह सड़ी हुई होना चाहिए कच्ची खाद खेत में दीमक और अन्य कीट जैसी समस्या उत्पन्न कर सकती हैं।
खरीफ प्याज की खेती की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए लिंक पर क्लिक करें: