कलौंजी की किस्म NS 44 जो होती 150 दिन में तैयार और प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल उत्पादन क्षमता, जानिए कलौंजी की उन्नत खेती के बारे में

कलौंजी की किस्म NS 44 जो होती 150 दिन में तैयार और प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल उत्पादन क्षमता, जानिए कलौंजी की उन्नत खेती के बारे में
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Kisaan Helpline

Crops Sep 30, 2021

वर्तमान समय में नकदी फसलों की खेती बढ़ रही है। अधिक आय के लिए किसान औषधीय पौधों की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह फसल किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। लेकिन किसान भाइयों को उनकी खेती से जुड़ी खास जानकारी नहीं है। ऐसे में कई बार उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है. ज्यादा मुनाफा देने वाली कलौंजी की खेती भी किसानों की जबरदस्त आमदनी का जरिया है। हम उन्हें इसकी खेती, लाभ और उन्नत किस्म की सारी जानकारी देने जा रहे हैं, जो किसानों के लिए काफी उपयुक्त साबित होगी।

कलौंजी की उन्नत किस्में, NS-44 किस्म का हो रहा सर्वाधिक प्रयोग

  • कलौंजी की सर्वोत्तम किस्मों की बात करें तो NRCS SAN-1 उनमें से एक है। इसके पौधे की लंबाई 2 फीट तक होती है। इसकी प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता 8 क्विंटल तक है। एक और किस्म है आजाद कृष्ण कलौंजी। इसकी खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और हरियाणा में की जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आती है।
  • तीसरी किस्म पंत कृष्ण है। इसकी उत्पादन क्षमता 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। अन्य किस्मों की तरह यह भी 140 दिनों में पक जाती है। कलौंजी की चौथी किस्म एनएस- 32 है। इसे अन्य सभी किस्मों से बेहतर माना जाता है। इसकी उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 10 से 15 क्विंटल तक आती है। यह 140 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है।
  • एक और उन्नत किस्म है, जिसका नाम है- NS-44. आज के समय में किसान इस किस्म का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके पीछे का कारण इसकी उत्पादन क्षमता है। इस किस्म की खेती से किसान भाइयों को प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल तक उत्पादन मिल रहा है। लेकिन इसे तैयार करने में अधिक समय लगता है। यह अन्य किस्मों की तुलना में 20 दिन देरी से पकती है और 150 से 160 दिनों में पकती है।

कलौंजी की उन्नत खेती की सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://www.kisaanhelpline.com/crops/herbal/98_NigellaSeeds


कलौंजी पर काफी शोध कार्य
1959 के बाद मिस्र, जॉर्डन, जर्मनी, अमेरिका और भारत जैसे देशों के 200 विश्वविद्यालयों में कलौंजी पर काफी शोध कार्य हुए हैं। कलौंजी का तेल गंजेपन को दूर करने में भी मददगार माना जाता है। इसके अलावा कलौंजी लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार और चेहरे के पक्षाघात के इलाज में भी फायदा करती है। दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में भी मदद करता है।

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