भिंडी वर्षा ऋतु की प्रमुख फसलों में से एक है। भिंडी की खेती (bhindi ki kheti) में बुआई का समय आ गया है। जून के अंतिम और जुलाई पहले सप्ताह में भिंडी की बुआई करनी चाहिए। भिंडी की फसल बोने से पहले मिट्टी और पानी का परीक्षण अवश्य करें। फसल की उपयुक्त, उन्नत एवं संकर किस्मों के बीज बोयें।
भिंडी में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, कैल्शियम, फॉस्फोरस, विटामिन ए, बी और सी भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
जून-जुलाई में बोएं भिंडी
जून-जुलाई में बरसाती भिंडी की बुआई करें और अच्छा लाभ प्राप्त करें। एक एकड़ जमीन में 40 से 53 क्विंटल उत्पादन लिया जा सकता है। औसत दर रहने पर भी एक किसान को एक एकड़ से एक से डेढ़ लाख रुपये से अधिक की उपज मिल सकती है।
भिंडी की खेती के लिए ऐसे करें खेत की तैयारी
खेत की जुताई करके मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरी कर लें। बिजाई से लगभग 3 सप्ताह पहले खेत की जुताई करते समय गोबर की खाद डालें। वर्षा ऋतु की फसल के लिए खेत को उचित आकार की क्यारियों में विभाजित कर लें। बुआई का समय जून-जुलाई है। 5-6 किग्रा बीज प्रति एकड़ खेत में डालें। कतार से कतार की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें। बीजों को रात भर पानी में भिगो दें। भीगने के बाद बीजों को छाया में सुखाकर बो दें।
भिंडी की किस्म
- वर्षा उपहार किस्म - भिंडी की वर्षा उपहार किस्म पीलिया रोगरोधी क्षमता वाली है। इसकी पैदावार 40 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसके पौधे मध्यम, लंबे व दो गांठों के बीच की दूरी कम होती है। फल लंबे सिरे वाले चमकीले मध्यम मोटाई वाले और 5 कोरों वाले होते हैं। यह किस्म 45 दिन में फल देना आरंभ कर देती है।
- हिसार नवीन किस्म - दूसरी किस्म हिसार नवीन है। यह भी रोगरोधी है। यह किस्म गर्मी व वर्षा के लिए उपयुक्त है। इसकी औसत पैदावार 40-45 क्विंटल प्रति एकड़ है। तीसरी एचबीएच-142 संकर किस्म है। पीलिया रोगरोधी क्षमता होने के कारण यह वर्षा ऋतु में भी उगाई जा सकती है। इसके फल 8-10 सेंटीमीटर लंबे, मोटाई मध्यम व पांच कोर युक्त आकर्षित होते हैं। इसकी औसत 53 क्विंटल प्रति एकड़ है।
ऐसे करें भिंडी की बुवाई
सब्जी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार वर्षा ऋतु की भिंडी की फसल के लिए प्रति एकड़ 5 से 6 किलोग्राम बीज बोयें। फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 45-60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें। बुवाई से पहले बीजों को रात भर पानी में भिगो दें। भिगोने के बाद लगभग एक घंटे के लिए बीजों को छाया में सुखाकर बो दें। बुवाई से लगभग 3 सप्ताह पहले FYM @ 10 टन प्रति एकड़ डालें।
अच्छी उपज के लिए रोग के प्रकोप से बचाव करें
- पीला रोग सफेद मक्खी से फैलने वाला विषाणु रोग है। इस रोग में पत्तों की शिराये पीली हो जाती है। फल पीले व कम लगते हैं। वर्षा उपहार में पीला रोगरोधी क्षमता है।
- जड़ गलन में छोटे पौधों का बढ़ना रुक जाता है। पौधे पीले और जड़ गल जाती है। बीज का उपचार 2-3 ग्राम बाविस्टिन या कैप्टान को प्रति किमी बीज में मिलाकर करें।
- जड़ गांठ रोग में प्रभावित पौधे पीले व बौने दिखते हैं। जड़ों में गांठें बन जाती है। बचाव के लिए उन्हीं खेतों में भिंडी, टमाटर, मिर्च व कद्दू वर्गीय सब्जियों की काश्त न करें। गर्मियों में 2 से 3 बार गहरी जुताई करें।