जायद सीजन में किसान करें, अच्छी उपज और उत्तम पशु आहार के लिए ग्वार की खेती

जायद सीजन में किसान करें, अच्छी उपज और उत्तम पशु आहार के लिए ग्वार की खेती
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Crops Mar 11, 2023

Guar ki Kheti: ग्वार की खेती शुष्क और कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है। ग्वार की खेती मुख्यतः सब्जी, हरी फली, चारे की फसल तथा गोंद प्राप्त करने के लिए की जाती है। ग्वार देश के उत्तर मध्य और पश्चिमी भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। इसकी खेती राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, एमपी व महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में की जाती है। 

यह एक रेशेदार सब्जी है जिसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह एक स्वपरागित पौधा है जो 60 से 90 सेंटीमीटर ऊँचा होता है और फलियाँ 70 से 80 दिनों के बाद आने लगती हैं।

प्रमुख उन्नत किस्में-
  • RGC-1 इस प्रकार के पौधे की औसत ऊंचाई 80-100 सेंटीमीटर के बीच होती है। उपज 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
  • RGC-197 यह 100-120 दिनों तक चलने वाली किस्म है और प्रति हेक्टेयर 8-12 क्विंटल उपज देती है।
  • RGC-1002- यह 80-90 दिनों तक चलने वाली किस्म है और प्रति हेक्टेयर 10-14 क्विंटल उपज देती है।
  • RGC-1003 शुष्क क्षेत्र के लिए उपयुक्त, 90-95 दिन की अवधि तथा प्रति हेक्टेयर 10-14 कुन्तल उपज प्राप्त होती है।
  • RGC - 936 - यह 80-90 दिनों की अवधि की झाड़ीदार फसल है और प्रति हेक्टेयर 12-14 क्विंटल उपज देती है।
  • आरजीएम-112-यह 90-95 दिनों की अवधि वाली बहु शाखाओं वाली किस्म है और जीवाणु झुलसा और जड़ सड़न के लिए प्रतिरोधी है और उपज 12-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • HGS-563 - यह किस्म 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके दानों में 30 प्रतिशत तक गोंद पाया जाता है।
  • पूसा मौसमी के 65-70 दिनों में फलियां कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं और प्रति हेक्टेयर 35-40 क्विंटल उपज प्राप्त हो जाती है।
अनुकूल जलवायु
ग्वार एक गर्म जलवायु वाली फसल है जिसे सूखे और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से लगाया जा सकता है। वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु सूखे की स्थिति में नियमित अन्तराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।

बुवाई का समय
ग्वार की खेती खरीफ और गर्मी के मौसम में की जाती है।
ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई: मध्य फरवरी से मध्य मार्च तक
बरसात के मौसम में बुवाई: जून-जुलाई

बीज की मात्रा
हरी फली सब्जी के लिए : 15-18 किग्रा प्रति हेक्टेयर
चारा फसल: 35-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

बीज उपचार
राइजोबियम कल्चर से बीज उपचार उपयोगी सिद्ध होता है, जो ग्वार की जड़ों में गांठों के माध्यम से नाइट्रोजन को अवशोषित करता है। इसलिए इस फसल को अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती है और नाइट्रोजन अगली फसल के लिए खेत में उपलब्ध हो जाती है।

खाद और उर्वरक की मात्रा
बुआई से पूर्व 20-25 क्विंटल गोबर की खाद, 25-30 किग्रा नत्रजन प्रति हेक्टेयर तथा 40-50 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर भूमि में मिला दें।

सिंचाई 
गर्मी में हर सप्ताह में सिंचाई करना जरूरी है। निराई-गुड़ाई भी एक-दो बार कर लेनी चाहिए।

कटाई एवं तुड़ाई
सब्जी की फसलः 55-70 दिन में तैयार हो जाती है। तथा 80-130 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।

चारा फसल
यह 60-80 दिनों में फूल आने परप्रति हेक्टेयर 250-300 क्विंटल उपज मिलती है।

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