Urad Farming: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि उड़द एक दलहनी फसल है, भारत के सभी राज्यों में इसकी खेती की जाती है, उड़द की फसल के उत्पादन में भारत पहला देश है। हमारे देश में इसका प्रयोग मुख्य रूप से दाल के रूप में किया जाता है इसकी दाल हम सभी के घर में बनाकर खाई जाती है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइट्रेट, फाइबर, कैल्सियम, विटामिन बी, और खनिज लवणों की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो हमारे शरीर को पोषक तत्व प्रदान करती है, इसमें प्रोटीन की मात्रा लगभग 23 से 27 प्रतिशत होती है, इस दाल में फास्फोरस की मात्रा अन्य दालों की तुलना में 8 गुना अधिक पाई जाती है। उड़द की दाल का इस्तेमाल रोजाना के खाने में खूब किया जाता है, बाजार में भी इसकी काफी डिमांड है। उड़द की फसल से किसान अपने खेत में खाद भी प्राप्त कर सकता है। उड़द की फसल से हरी खाद भी बनाई जा सकती है, जिससे लगभग 40-50 प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन उर्वरक प्राप्त किया जा सकता है। जब उड़द की फली हरी हो जाती है तो उसकी सब्जी भी बनती है।
बुवाई का उचित समय
उड़द की बुवाई गर्मी के मौसम में करने की सलाह दी जाती है। इसे फरवरी के अंतिम सप्ताह और मार्च के पहले सप्ताह में वसंत और गर्मियों में और खरीफ मौसम में जून और जुलाई के महीने में बोया जाना चाहिए। इसके लिए 25 से 35 डिग्री का तापमान अच्छा होता है। इसकी खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, उड़द की खेती लगभग 700 से 900 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। पौधों को कम से कम 10 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए और बीज भी लगभग 4 से 6 सेमी की गहराई पर बोया जाना चाहिए। इन फफूंदनाशक से हम उड़द बीच का उपचार कर सकते हैं, हमें फफूंदनाशक जैसे केप्टन या थायरम आदि का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही राइजोबियस कल्चर द्वारा इस उपचार के बाद किसान अपनी फसल का 15% उपज बढ़ा सकते हैं।
उड़द की उन्नत किस्मे
वैसे तो बाजार में कई प्रकार की उन्नत किस्म हमें मिलती है जिन्हे अलग-अलग जलवायु के हिसाब से अधिक उत्पादन के लिए पूरे भारत में उगाया जाता है, आइये जानते है उड़द की प्रमुख किस्में:
- टी. 19
- पंत यु 19
- कृष्णा
- पंत यु 19
- जे. वाई. पी.
- आर.बी.यू. 38
- यु.जी. 218
- एल बी जी- 20
- के यू- 309
- ए डी टी- 4
- ए डी टी- 5
- जवाहर उड़द 2
- आजाद उड़द- 1
- वांबन- 1,