जानिए टमाटर की खेती में हानिकारक कीटों से कैसे करें फसल की सुरक्षा

जानिए टमाटर की खेती में हानिकारक कीटों से कैसे करें फसल की सुरक्षा
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Kisaan Helpline

Crops Jan 07, 2023

Tomato Farming: टमाटर विश्व की एक प्रमुख फसल है जिसने अपने विशेष पोषक मान के कारण लोकप्रियता प्राप्त की है। यह दुनिया के हर देश में उगाया जाता है। टमाटर की फसल को मुख्य रूप से फल छेदक कीटों से भारी नुकसान होता है।

चने की सुंडी


यह बहुभक्षी कीट है जो टमाटर को भारी नुकसान पहुंचाता है। फूल आने से पहले की अवधि के दौरान इल्लियां कोमल टहनियों, पत्तियों और फूलों को खाती हैं, जिससे फसल छिद्रित दिखाई देती है। फल लगने के बाद सुंडी फल में गोल छेद करके अपना आधा शरीर अंदर घुसा लेती है और फल का गूदा खा जाती है, जिससे फल सड़ जाता है।

तम्बाकु की सुंडी


यह भी बहुभक्षी कीट है। प्रारंभ में इसकी सुंडी समूह में रहकर पत्तियों की ऊपरी सतह को खुरच कर खाती है। पूरी तरह से विकसित सुंडियाँ पत्तियों को काटकर खाते हैं और रात के समय अधिक सक्रिय होते हैं।

सफेद मक्खी


इसके वयस्क एवं शिशु (निम्फ) पत्तियों का रस चूस लेते हैं तथा पत्ती मरोड़क मोज़ैक बीमारी फैलाते हैं। छोटे सफेद जीव पत्तियों के नीचे पाए जाते हैं।

लीफ माइनर


इसकी मादा पत्तों की शिराओं में छेद करके उनमें अण्डे देती हैं। यह पत्तियों का हरा पदार्थ खाकर उनमें सुरंगे बनाती हैं।

रोकथाम के उपाय
  • पत्ती मरोड़क (लीफ कर्ल) प्रतिरोधी किस्में उगाएं और रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
  • टमाटर लगाते समय प्रत्येक 10-15 कतार के बाद गेंदे के पौधों की एक पंक्ति लगाएं। ऐसा करने से चने की सुंडी नियंत्रित हो जाती है।
  • फल छेदक कीट की निगरानी के लिए प्रति हेक्टेयर पांच फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
  • क्षतिग्रस्त फलों को जमीन में दबा कर नष्ट कर दें.
  • फल छेदक कीट को नियंत्रित करने के लिए ट्राइकोग्रामा चिलोनिस 50,000 प्रति हेक्टेयर की दर से दो से तीन बार प्रयोग करें।
  • फल छेदक के प्रकोप से बचने के लिए एजाडायरेक्टिन (10000 पीपीएम) का छिड़काव 1-2 ग्रा./ली. के दर से 15 दिनों के अंतराल पर करें।
  • रस चूसने वाले कीटों से बचाव के लिए इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. (2 मि.ली. / 10 ली.) या थायामिथोक्सम 25 डब्ल्यू. जी. (2 ग्रा./10 ली.) का प्रयोग करें।
  • सुंडियों से संबंधित एन.पी.वी. का छिड़काव 250 एल. ई./ है. के दर से करें। बी. टी. का एक या दो छिड़काव 1 ग्रा./ली. के दर से 15 दिनों के अंतराल पर करें। 
  • आवश्यकता होने पर लैम्डा - साइहैलोथ्रिन (5 मि. ली./10 ली.) या इन्डोक्साकार्ब (0.5 मि.ली./ली.) का छिड़काव करें।

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