Sunflower Farming: जैसा की हम सभी जानते है सूरजमुखी एक तिलहनीय फसल है। तिलहनीय फसल में मुख्य रूप से इसका स्थान चौथा है इससे पहले भारत की तिलहनीय फसल में सबसे पहला स्थान मूंगफली फिर दूसरे स्थान पर राइ और तीसरे स्थान पर सोयाबीन और चौथा स्थान सूरजमुखी का ही आता है। सूरजमुखी की खेती भारत में लगभग 3.20 लाख हेक्टैयर में की जाती है। लगभग 35 से 40 प्रतिशत तेल इसके बीज से हमारे देश में निकाला जाता है। इस फसल की बुवाई तीनो मौसम में की जाती है। जायद के इस मौसम में भी किसान इसकी बुवाई कर सकते और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है। कहते है सूरजमुखी की फसल किसान भाइयो के लिए उन्नत फसल और मुनाफा देने वाली फसल कही जाती है। नगदी फसल के नाम से मशहूर ये फसल बाजार में अच्छे भाव मे बिकती है इससे निकले वाला तेल खाद्य पर्दार्थ में प्रयोग में लिया जाता है। बाजारों में इसकी अधिक मांग को देखते हुए किसान इसका उत्पादन करके अधिक लाभ अर्जित है।
सूरजमुखी की फसल लगभग 80 से 90 तीनो में पक कर तैयार हो जाती है।
सूरजमुखी की खेती बलुई दोमट मिट्टी इसकी बुवाई के लिए बहुत अच्छी होती है साथ ही फसल में अच्छी वृद्धि के लिए जीवांश कार्बन की मात्रा भूमि में उपयोगी होती है।
सूरजमुखी की फसल में लगने वाले रोग और उसका निवारण
सूरजमुखी की फसल में कई रोग लगने की संभावना होती है जैसे रतुआ रोग इस रोग में पौधे की पतियों छोटे - छोटे धब्बे लाल भूरे रंग के दिखाई देते है यह रोग पूरी पतियों पर फेल जाने के बाद जिससे पतियों का रंग पीला हो जाता है इसके रोकथाम के लिए 0.2% मैनकोज़ेब का छिड़काव करना चाहिए और साथ ही फसल चक्र को अपनाना चाहिए। डाउनी मिल्ड्यू रोग इस रोग में पौधे की साइज़ छोटी रह जाती है पौधे की जड़े सफेद रंग की दिखाई देती है निचली सतह पर फफूंद लगने लग जाती इस रोग के निवारण के लिए फफूंदनाशक का प्रयोग करना चाहिए और फसल चक्र को अपनाना चाहिए और कई अन्य रोग सफेद चूर्णी रोग, हेड रॉट, तना एवं जड़ गलन रोग यह रोग तब दिखाई देता है, जब फसल पर फूल और दाने आने शुरू हो जाते है यह रोग पहले तो सतह पर हलके भूरे रंग के धब्बो के रूप में दिखाई देता है फिर यह बाद में फसल की जड़ो पर फेल कर उसको सूखा देता इस रोग के बचाव निवारण के लिए हमे पौधे की सिंचाई तापमान को देखते हुए करनी चाहिए पौधे में पोषण की कमी नहीं होने देनी चाहिए।