सोयाबीन किस्म जेएस 20-98 : जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जे.एन.के.वी.वी.) मध्यप्रदेश द्वारा पुरानी सोयाबीन किस्मों के श्रेष्ठ विकल्प के रूप में किसानों की आवश्यकता एवं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निरन्तर गहन रिसर्च के पश्चात सोयाबीन की नवीनतम किस्म जे.एस. 2098 जारी की है, सोयाबीन की यह किस्म बोनी हेतु म.प्र., राजस्थान, गुजरात, बुन्देलखण्ड, मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है, इसका नोटिफिकेशन क्रमांक एस.ओ. 1379 (E- 27-3-2018) है। सोयाबीन की यह नवीन किस्म जे.एस. 335 से पहले व सोयाबीन जे.एस. 9305 के लगभग पककर तैयार हो जायेगी। हल्की, सामान्य एवं भारी जमीनों में तथा सामान्य एवं विपरीत परिस्थितियों एवं मौसम में भी इस किस्म में अत्यधिक उत्पादन देने की अद्भुत क्षमता इस किस्म में देखी गई है।
उत्तम अंकुरण क्षमता एवं पौधे में फैलाव के अनुकूल स्थितियां होने के कारण 75 किलो प्रति हेक्टेयर बीज दर रखने एवं 14 से 16 इंच कतार से कतार की दूरी रखने पर इस किस्म का आदर्श परिणाम प्राप्त होता है।
सोयाबीन की यह किस्म की ऊंचाई अधिक होने के कारण हार्वेस्टर से कटाई हेतु भी उपयुक्त है। पूर्व में प्रचलित सोयाबीन किस्मों में कीट व्याधि का अत्याधिक प्रकोप तथा उत्पादन एवं गुणवत्ता में लगातार आ रही गिरावट/कमी को देखते हुए सोयाबीन की यह नवीनतम किस्म जेएस 20-98 सोयाबीन की पुरानी किस्मों को विस्थापित कर उत्पादन एवं गुणवत्ता के नए मानदंड एवं आयाम बनाकर किसानों के लिए एक आदर्श सोयाबीन किस्म का विकल्प बनकर शीघ्र प्रतिस्थापित हो जाएगी।
सोयाबीन जेएस 20-98 (soybean variety JS 2098) के प्रमुख गुण :
- दाने का आकार गोलाकार मध्यम गोल्ड
- 100 दानों का वजन 10.2 ग्राम
- दाने का प्रकार पीला चमकदार, नाभि का रंग काला
- अंकुरण क्षमता 80 से 90%
- पौधे का प्रकार मध्यम ऊंची किस्म, ऊंचाई लगभग 46 से 55 सेंटीमीटर, अर्धपरिमित (सेमी डिटरमिनेट) यानी सीधा मध्यम फैलाव वाला पौधा (सेमी इरेक्टर)
- पत्ती का आकार तीखी-सकरी फलिया रोएंदार (चिकनी नहीं)
- रोएं एवं फली का रंग भूरा
- आधे फुल आने की अवधि लगभग 40 से 42 दिवस
- फूलों का रंग सफेद
- दो से तीन दाने की फलियां
- चटकने की समस्या नहीं
- आदर्श पौधा 4 लाख पौधे प्रति हेक्टेयर,
- फसल की अवधि लगभग 94 दिन
- दानों में तेल की मात्रा 19.3%, प्रोटीन प्रतिशत 40%
- अवधि: शुरुआती 96-98 दिन
- उपज: 25-28 क्विंटल/हेक्टेयर
- विशेषताएं: इसमें प्रतिकूल और सामान्य दोनों स्थितियों में उच्च उपज क्षमता है। येलो मोज़ेक वायरस और चारकोल रोट जैसी सबसे भयानक बीमारियों के खिलाफ कई प्रतिरोधी, जिसमें अन्य महत्वपूर्ण बीमारियां जैसे ब्लाइट्स, बैक्टीरियल पस्ट्यूल, लीफ स्पॉट और कीट-कीट शामिल हैं। इसमें उत्कृष्ट अंकुरण क्षमता और दीर्घायु होती है। यह समय पर बुवाई, मध्यम से उच्च वर्षा की स्थिति और मध्यम से भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है। विशेष रूप से, यह वाईएमवी और चारकोल रोट प्रवण क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त होगा। यह किस्म अजैविक और जैविक दबावों की घटनाओं में भी मध्य क्षेत्र में सोयाबीन उत्पादन की स्थिरता के संबंध में बहुत उपयुक्त होगी।