जैसे की आप जानते है प्याज भारत में एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है। इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं। प्याज में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते हैं। प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। सामान्यतः भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उ.प्र., उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू, म.प्र.,आन्ध्रप्रदेश एवं बिहार प्रमुख हैं। मध्यप्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है। म.प्र. में प्याज की खेती खंण्डवा, शाजापुर, रतलाम, छिंन्दवाड़ा, सागर एवं इन्दौर में मुख्य रूप से की जाती है। सामान्य रूप में सभी जिलों में प्याज की खेती की जाती है। भारत से प्याज का निर्यात मलेशिया, यू.ए.ई. कनाडा, जापान, लेबनान एवं कुवैत में निर्यात किया जाता है।
उन्नत किस्में
रबी मौसम के लिए
एग्रीफाउंड हल्का लाल : इस प्रजाति के बल्ब मध्यम आकार के गोलाकार तथा हल्के लाल रंग के होते हैं। इसकी भंडारण क्षमता अच्छी होती है। रोपाई से 120 से 125 दिन बाद तैयार हो जाती है। पैदावार 300 से 375 क्विंटल प्रति हेक्टर है।
एग्रीफाऊंड व्हाईट : बल्बों का शल्क उजला रंग होता है। भंडारण क्षमता मध्यम होती है। फसल बोआई से 160 से 165 दिनों में तैयार हो जाती है। औसत उत्पादन 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर होता है।
पूसा रेड: बल्ब मध्यम आकार का होता है जिसकी भंडारण क्षमता अच्छी है। रोपाई से 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है। औसत उपज 280 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है।
पूसा माध्वी : बल्बों का रंग हल्का लाल आकार चिपटापन लिए हुए गोल होता है। भंडारण क्षमता अधिक तथा फसल रोपाई के 130 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है। औसत उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है।
पटना रेड : बल्बों का रंग लाल तथा गोलाकार होता है यह रोपाई से 140 से 145 दिन में तैयार हो जाती है। औसत उत्पादन 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर होती है।
अन्य किस्म - भीमा, श्वेता।
खरीफ मौसम के लिए
एग्रीफाऊंड डार्क रेड : बल्बों का रंग लाल एवं गोलाकार होता है तथा स्वाद मध्यम तीखापान होता है। फसल रोपाई से 140 से 145 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की पैदावार 200 से 275 क्विंटल प्रति हेक्टर हो जाती है।
बसन्त : बल्बों का रंग आकर्षक लाल एवं गोलाकार तथा स्वाद मध्यम तीखा होता है। फसल रोपाई से 100 से 120 दिन में तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टर हो जाती है।
एन-53: इस किस्म के बल्बों का रंग लाल तथा मध्यम आकार का होता है। यह किस्म सालभर उगाई जा सकती है क्योंकि तापमान एवं सूर्य का प्रकाश के प्रभाव इस पर नहीं होता है। यह रबी और खरीफ दोनों मौसम में लगाया जा सकता है। यह किस्म रोपाई 135 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टर हो जाती है।
अन्य किस्म - भीमा सुपर, भीमा डार्क रेड, भीमा शुभ्रा।