जानिए मिर्च की फसल में लगने वाला फल गलन व टहनी मार रोग के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

जानिए मिर्च की फसल में लगने वाला फल गलन व टहनी मार रोग के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Jan 25, 2023

मिर्च में यह रोग भी एक फफूंदी (कोलेटोट्राइकम कैपिसकी) से होता है। प्रभावित पके फलों पर भूरे या काले रंग के धब्बे बनते हैं इनके बीच में काले-काले बिंदु जैसे आकार भी बन जाते हैं, जो फफूंद के बीजाणु (बसर ब्रुलाई) होते हैं। प्रभावित फलों के बीजों के ऊपर भी फफूंद उग जाती है और फल सिकुड़ कर सूख जाते हैं। इसी फफूंद के कारण 'डाई बैक' रोग भी आता है, जिससे सर्वप्रथम मुलायम शाखायें सूखनी आरंभ हो जाती हैं एवं बाद में या तो पूरी शाखा सूख जाती है या पौधा मुरझा जाता है। इस रोग के लक्षण पौधों के ऊपरी भाग से आरंभ होकर नीचे की तरफ बढ़ते हैं। सूखी हुई टहनियों पर काले बिंदु जैसे आकार बिखरे होते हैं। आशिक रूप से प्रभावित पौधे में कुछ फल लगते हैं. परंतु उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है एंथ्रेक्नोज के प्रकोप के फलस्वरूप पत्तियों एवं हरी मिर्ची के ऊपर काले रंग के धब्बे बनते हैं। इनके चारों तरफ का भाग पीला और भूरा पड़ जाता है। फल धब्बों वाले भाग के पास, समय से पूर्व पकने आरंभ हो जाते हैं। फलों का सिकुड़ना सूखना और पौधों से गिरना भी इसी रोग के कारण होता है। इस रोग का प्रकोप अगले वर्ष रोगी पौधों के अवशेषों तथा रोगग्रस्त बीज द्वारा होता है।


रोग नियंत्रण 
  • पौध बीजने से पहले बीज का उपचार थीरम या कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बौज की दर से करें।
  • खेत में रोग के प्रथम लक्षण दिखाई देते ही 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड मैन्कोजेब या जिनेब को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से 10 से 15 दिनों के अंतर पर छिड़काव करते रहें। आवश्यकता पड़ने पर 10-15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव को दोहरायें।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline