जानिए मध्यप्रदेश के लिए अनुशंसित सोयाबीन किस्म जे.एस. 20-34 के बारे में

जानिए मध्यप्रदेश के लिए अनुशंसित सोयाबीन किस्म जे.एस. 20-34 के बारे में
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Kisaan Helpline

Crops May 13, 2022

सोयाबीन किस्म जे.एस. 20-34 की बुवाई जून के अन्तिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिए। जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात बोनी की बीज दर 5- 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए। कतारों की दूरी 30 सेमी. ‘’ बोनी किस्मों के लिए ‘’ तथा 45 सेमी. बड़ी किस्मों के लिए उपयुक्त है। बीज 2.5 से 3 सेमी. गहराई तक बोयें।

पैदावार
फसल का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है, एक अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत अच्छा साबित होता है। 80 से 85 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाती है।

विगत कई वर्षों में देर से वर्ष बाद में अवर्षा की स्थिति में रबी में अगाती फसलों डालर एवं देसी चना, आलू, मटर, लहसुन- प्याज, शरबती गेहूं लगाने वाले किसान बिजली संकट से जूझ रहे किसान खेती में बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए अधिकतम प्रतिफल (आउटपुट) निकालने हेतु 3 फसल लेने की योजना का समायोजन करने हेतु, कृषको का आकर्षण अर्ली (जल्दी) आने वाली किस्मों की तरफ बढ़ता जा रहा है।
कई वर्षों से किसान इस बात से परेशान थे कि एक अच्छी अर्ली सोयाबीन किस्म में उनके पास जे एस 95-60 किस्म के आंतरिक कोई विकल्प नहीं था किंतु वर्षों के गहन अनुसंधान के पश्चात जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (J.N.K.V.V.) मध्य प्रदेश द्वारा भारत में दूसरी अति शीघ्र पकने वाली उन्नत सोयाबीन किस्मत जे. एस. 20-34 जारी की है, जो कि देश में मध्यक्षेत्र मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र हेतु अनुशंसित है।

यह किस्म जे.एस. 95-60 के लगभग व जे.एस 93-05 से लगभग 8-10 दिन पूर्व पककर तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता एवं गुण शीघ्र पकने वाली अन्य सोयाबीन किस्मों की तुलना में सर्वाधिक है। सम्राट एवं पूर्व में प्रचलित शीघ्र पकने वाली अन्य किस्मों, जिसमें कीट व्याधि का अत्यधिक प्रकोप, निरंतर गिरती उत्पादन क्षमता के कारण उत्पादन ठीक प्रकार से नहीं हो रहा था, को विस्थापित करके एक आदर्श विकल्प के रूप में यह किस्म शीघ्र ही अपना एक अचल स्थान किसानों में बना लेगी।

सोयाबीन जे एस 20-34 वैरायटी के प्रमुख गुण
  • दानों का आकार – गोलाकार मध्यम बोल्ड,
  • 100 दानों का वजन –11 से 12 ग्राम
  • दाने के प्रकार – पीला चमकदार
  • नाभि का रंग – काला
  • अंकुरण क्षमता – उत्तम 80 से 90% तक
  • पौधे का प्रकार – बोनी (छोटी) किस्म 40 से 45 सेंटीमीटर परिमित वृद्धि (डिटरमिनेट) प्लांट कम फैलने वाला सीधा प्लांट (इरेक्ट)
  • पत्तियों का रंग – गहरा हरा
  • पत्तियों का आकार – गोल अंडकार रोएं, फलिया रोएंदार नहीं।

सोयाबीन जे एस 20-34 वैरायटी की अन्य विशेषताएं
  • बुवाई का उचित समय 15 जून से 30 जून तक का होता हैं।
  • बुवाई के लिए बीज की मात्रा 30-35 किलों बीज प्रति एकड़ पर्याप्त हैं।
  • सोयाबीन JS 2034 किस्म का उत्पादन लगभग एक हेक्टेयर में 20-25 क्विंटल तक होता हैं।
  • फसल की कटाई 80-85 दिन में हो जाती हैं।
  • इस किस्म में दाने का रंग पीला,  फूल का रंग बैंगनी तथा फलिया फ्लैट होती है और इल्लियों का प्रकोप ज्यादा होता हैं।
  • यह किस्म कम वर्षा होने पर भी अच्छा उत्पादन देती है।

सोयाबीन जेएस-2034
पत्ती नुकीली अंडाकर और डार्क हरी रहेगी। चार से पांच शाखाएं रहेंगी। बैंगनी फूल होंगे। हल्का पीला रंग का बीज होगा। पौधों की ऊंचाई 75-80 सेमी की होगी। उत्पादन 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा। 100 दाने का वजन 11-12 ग्राम रहेगा। 87-88 दिन में फसल पककर तैयार हो जाएगी।

विशेषता : पीला विषाणु रोग, चारकोल राट, पत्ती धब्बा, बेक्टेरिययल पशचूल पत्ती धब्बा एवं कीट प्रतिरोधी कम वर्षा में उपयोगी।

रिसर्च : कृषि कॉलेज जबलपुर

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