फल मक्खी यह कद्दूवर्गीय सब्जी फसलों में फलों पर हमला करने वाला मुख्य कीट है। तरबूज की फसल में मादा कीट कोमल फलों में अपना अण्डारोपक गढ़ा कर छिलके के नीचे अण्डे देती है। इसके अण्डों से ग्रब व लट निकलती हैं और फल में सुरंग बनाकर फल के गूदे को खाती हैं। इससे फल सड़ने लगते हैं और टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। बाद में ये कमजोर होकर बेल से अलग होकर खराब हो जाते हैं। इसके मैगट पर सीधा नियंत्रण संभव नहीं है। लेकिन वयस्क नर मक्खियों को नियंत्रित करके प्रकोप को कम किया जा सकता है।
इसे नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
रात के समय खेत में लाइट ट्रैप लगाएं और उनके नीचे चाशनी या गुड़ के घोल जैसा चिपकने वाला पदार्थ किसी बर्तन में भरकर रखें। 2-3 दिन बाद घोल को बदलते रहें। फेरोमोन ट्रैप लगाकर नर वयस्कों को नियंत्रित करें।
इमिडोक्लोप्रिड 70 प्रतिशत 1 मिली या डाईमिथेट का 2 मिली प्रति 1 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करने से भी फलमक्खी की संख्या में कुछ कमी की जा सकती है।
कीट की निगरानी हेतु फसल में गन्धपाश 2 प्रति एकड़ के अनुसार लगायें तथा उसमें ल्योर को 15-20 दिन के अन्तराल पर बदलते रहें।
इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एस. जी. 250 ग्राम दवा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर दूसरा छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।