जैसा की हम सभी जानते है ग्वार एक मुख्य दलहनीय फसल है इसकी खेती हमारे देश में पश्चिमी भाग के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों वाले किसानो द्वारा की जाती है इस फसल की जड़ गहरी होती है। खरीब ऋतू में ग्वार की बुवाई बहुत अधिक होती है। ग्वार के बीजो से लगभग 30-33 प्रतिसत की मात्रा गोंद निकलता है इसलिए इसे औध्योगिक फसल भी कहा जाता है। विश्व में सबसे अधिक ग्वार उगाने वाला देश भारत है। ग्वार की खेती सबसे ज्यादा इन प्रमुख राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात,हरियाणा में होती है आइये जानते है इसकी खेती का तरीका
ग्वार की उन्नत किस्म
ग्वार की प्रमुख उन्नत किस्म बुन्देल ग्वार-1, बुन्देल ग्वार-2, बुन्देल ग्वार-3, आर.जी.सी.-986, आर.जी.सी.-1002 एवं आर.जी.सी.-1003,एचजी 365, एचजी 2-20, जीसी 1, इन प्रमुख किस्म की बुवाई हम कर सकते है।
मिट्टी का चयन
ग्वार की बुवाई के लिए हमे जिस मिट्टी का p.h. मान 7-8.5 के बिच होता है उस मिट्टी में हमे इसकी बुवाई करना चाहिए, ऐसी मिट्टी जिसमे जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। बुलाई दोमट मिट्टी में इसकी बुवाई करना चाहिए।
खेत की तैयारी
बुवाई से पहले खेती की 2 से 3 बार अच्छी प्रकार जुताई करवाई चाहिए।
खाद उर्वरक
ग्वार की फसल में प्रयोग उर्वरक 20 KG नाइटरोजन और 40 से 60 KG फास्फोरस का प्रयोग करना चाहिए।
बीज मात्रा
एक बीघा में 4 से 5 KG बीज और हैक्टेयर में 15 से 20 KG की जरूरत होती है।
ग्वार की बुवाई
ग्वार की बुवाई के लिए हमे इसकी कतार की दुरी 30 cm और पोधो की दुरी 10 cm रखनी चाहिए और सीड्रिल से बुवाई करनी चाहिए।
साथ ही अच्छी और अधिक पैदावार इसकी समय समय निंदाई-गुड़ाई, सिचाई करनी चाहिए और रोग प्रतिरोग की निगरानी करनी चाहिए और उपचार करना चाहिए।