जानिए ग्रीष्मकालीन बाजरा एवं मक्का की खेती संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

जानिए ग्रीष्मकालीन बाजरा एवं मक्का की खेती संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops May 05, 2022

ग्रीष्मकालीन बाजरा की खेती 
  • दोमट या बलुई दोमट मृदा बाजरे के लिए अच्छी रहती है। भलीभांति समतल व जीवांश वाली मृदा में बाजरा की खेती करने से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। खेत में जल निकास का सही इंतजाम होना चाहिए। यह फसल ज्यादा पानी नहीं बरदाश्त कर सकती है। बाजरे की बुआई मार्च के प्रथम सप्ताह से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है। बाजरा एक परम्परागत फसल है। इसके 46 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी जीवित रह सकते हैं। जहां तक बीज की मात्रा की बात है, तो 4-5 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टर की दर से सही रहता है। बुआई के समय पंक्तियों की आपसी दूरी 25 सें.मी. होनी चाहिए. बीजों को 2 सें.मी. से ज्यादा गहरा नहीं बाना चाहिए ।
  • बाजरे की संकर प्रजातियां जैसे- जी.एच.बी.-558 एवं 86, एम.-52, डी. एच.-86, आई.सी.जीएस-44, आई.सी. जीएस-1, आर-9251, टीजी 37, आर-8808, जी.एच.बी.- 526, पी.बी. -180, तथा बाजरे की संकुल प्रजातियां जैसे-पूसा कम्पोजिट-383, आई.सी. टी.पी.-8203, राज. - 171 व आई.सी. एम.वी.-221 प्रमुख हैं। उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण से प्राप्त संस्तुतियों के आधार पर करें। मृदा परीक्षण की सुविधा उपलब्ध न होने की दशा में संकर प्रजातियों के लिए 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, 40 कि.ग्रा. पोटाश तथा संकुल प्रजातियों के लिए 60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, 40 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करनी चाहिए।
  • ग्रीष्मकालीन बाजरे की फसल में 4-5 सिंचाइयां पर्याप्त होती हैं। 10-15 दिनों के अंतराल से सिंचाई करते रहना चाहिए। कल्ले निकलते समय व फूल आने पर खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए।
ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती
ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती में निराई-गुड़ाई का अधिक महत्व है। इसके साथ ही साथ निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण के साथ ही ऑक्सीजन का संचार होता है, जिससे वह दूर तक फैलकर भोज्य पदार्थ को एकत्र कर पौधों को देती है। पहली निराई जमाव के 15-20 दिनों के बाद कर देनी चाहिए एवं दूसरी निराई 35-40 दिनों बाद करनी चाहिए। खरपतवारनाशी दवा एट्राजीन ( 50 प्रतिशत डब्ल्यू.सी.) 1.5-2.0 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर घुलनशील चूर्ण को 600-800 लीटर पानी में घोलकर बुआई के दूसरे या तीसरे दिन अंकुरण से पूर्व प्रयोग करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। खरपतवारनाशी एलाक्लोर (50 ई.सी.) 4-5 लीटर बुआई के तुरन्त बाद अंकुरण के पूर्व 600-800 लीटर पानी में मिलाकर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। यदि मक्का के बाद आलू की खेती किसान भाई को करनी हो, तो एट्राजीन का प्रयोग न करें। मक्का की फसल में शेष नाइट्रोजन की आधी मात्रा को दो बार खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें। आधी मात्रा बुआई क 25 से 30 दिनों बाद और शेष फल आने के समय नाइट्रोजन का प्रयोग करना चाहिए।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline