बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की नर्सरी उठी हुई क्यारियों पर बनाएं ।
रोपाई के समय बैंगन में 50 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फॉस्फेट व 50 कि.ग्रा. पोटाश; मिर्च में 35-40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-60 कि.ग्रा. फॉस्फेट व 40-50 कि. ग्रा. पोटाश तथा फूलगोभी में 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फॉस्फेट एवं 40 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करें।
बैंगन की रोपाई 75-90 X 60 सें.मी., मिर्च 45-75 X 30-45 सें.मी. तथा अगेती फूलगोभी की रोपाई 40-30 सें.मी. पर करनी चाहिए।
खरीफ प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बुआई 15 जुलाई तक कर दें। प्रति हैक्टर रोपाई के लिए बीजदर 12-15 कि.ग्रा. होगी।
चौलाई की बरसात की फसल के लिए बुआई पूरे महीने की जा सकती है। एक हैक्टर की बुआई के लिए 2-3 कि.ग्रा. बीज की आवश्यकता होती हैं।
कद्दूवर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर सहारा दें। सब्जियों की बुआई के लगभग 25-30 दिनों बाद पौधों की बढ़वार के समय प्रति हैक्टर 15-20 कि.ग्रा. नाइट्रोजन की टॉप ड्रैसिंग करें।
भिण्डी की फसल में बुआई के 30 दिनों बाद प्रति हैक्टर 35-40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (76-87 कि.ग्रा. यूरिया) की टॉप ड्रैसिंग करें।
हल्दी में प्रति हैक्टर 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन ( 87 कि.ग्रा. यूरिया) बुआई के 35-40 दिनों बाद पंक्तियों के बीच में डालें।
अदरक में बुआई के 40 दिनों बाद प्रति हैक्टर नाइट्रोजन की 25 कि.ग्रा. मात्रा (54 कि.ग्रा. यूरिया) मिट्टी चढ़ाते समय दें।
आलू की फसल में सम्पूर्ण आवश्यक नाइट्रोजन की आधी मात्रा अर्थात 60 कि.ग्रा. (130 कि.ग्रा. यूरिया) प्रति हैक्टर की दर से बुआई के 65-70 दिनों बाद खड़ी फसल में देनी चाहिए।
कुन्दरू एवं परवल में नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं। अतः अच्छी उपज के लिए 9 मादा पौधे पर एक नर पौधा अवश्य लगायें।
कुन्दरू एवं परवल की रोपाई के लिए पौधे से पौधे की 3 मीटर की दूरी पर 30X30X30 सें.मी. आकार के खोदे गये गड्ढों में 2-3 कि.ग्रा. अच्छी प्रकार से सड़ी गोबर की खाद/कम्पोस्ट, यूरिया 50 ग्राम, सुपर फॉस्फेट 200 ग्राम तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश 100 ग्राम प्रति गड्ढे की दर से अच्छी तरह मिट्टी व बालू में मिलाकर 10 सें.मी. की ऊंचाई तक भर दें।