जानिए आलू की फसल में लगने वाले सबसे हानिकारक रोग के लक्षण एवं रोकथाम

जानिए आलू की फसल में लगने वाले सबसे हानिकारक रोग के लक्षण एवं रोकथाम
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Kisaan Helpline

Crops Jan 27, 2022

जैसा की आप जानते है आलू विश्व का एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसे शाकाहारी व मांसाहारी हर तरह के व्यंजन में इस्तेमाल किया जाता है। आलू में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामीन एवं खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाये जातें हैं। इस प्रकार प्रति 100 ग्राम खाने योग्य आलू के भाग में प्रमुख पौष्टिक तत्वों की मात्रा में कार्बोहाइड्रेट 22.9 ग्राम, प्रोटीन 1.6 ग्राम, विटामिन ‘ए’ 24.0 मि॰ग्रा॰, विटामिन ‘बी’ 17.0 मि॰ग्रा॰ विटामिन ‘सी’ 0.11 मि॰ग्रा॰ ऊर्जा 10 कैलोरी एवं खनिज पदार्थ जैसे फास्फोरस 40 मि॰ग्रा॰ लोहा 0.7 मि॰ग्रा॰ तथा पोटैशियम 24.7 मि॰ग्रा॰ मिलता है।

आलू (Solanum tubrosum) की फसल में झुलसा रोग  कारक का सर्दियों के मौसम में प्रतिकूल असर पड़ता है। आलू में अगेती झुलसा रोग (Alternaria solani) के साथ साथ पछेती झुलसा रोग (Phytopthora infestans) का प्रकोप भी होता है। इन रोगों के कारण आलू के उपज में भारी कमी आती है। फसल को इन रोगों के लक्षण और रोकथाम निम्न प्रकार से किया जा सकता है।

आलू में अगेती झुलसा के लक्षण
अगेती झुलसा रोग आल्टनेरिय सोलेनाई नामक कवक से होता है। इस रोग के कारण आलू की फसल को अत्याधिक नुकसान होता है। इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद दिखने लगते हैं। सबसे पहले पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे - छोटे धब्बे टारगेट बोर्ड जैसे दिखने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार एवं रंग में भी वृद्धि होने लगती है। रोग का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां जली हुई नज़र आती हैं तथा सिकुड़ कर गिरने लगती हैं तनों पर भी भूरे एवं काले धब्बे उभरने लगते हैं। प्रकाश संश्लेषण की दर कम होने से कंद का आकार भी छोटा रह जाता हैं। जिससे उपज घट जाती है।


अगेती झुलसा रोग का नियंत्रण
  • रोग प्रतिरोधक प्रजातियों उगाना चाहिए।
  • इस रोग का नियंत्रण करने के लिए 20 लीटर पानी में 35-40 ग्राम मैंकोज़ेब या एंडोफिल एम 45 का रोग लक्षण दिखने पर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।
  • इसके अलावा हेक्साकोनाजॉल एक एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।


आलू में पछेती झुलसा के लक्षण 
पछेती झुलसा रोग फाइटोपथोरा इन्फेस्टांस नामक कवक के कारण होता है। इस रोग में पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं। प्रभावित पौधों की पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद नजर आने लगते हैं। इस रोग के होने पर आलू की पैदावार में भारी कमी आ जाती है और कंदों का आकार छोटा रह जाता है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और कुछ दिनों में ही पूरी की  पूरी  फसल नष्ट हो सकती है।


पछेती झुलसा रोग पर नियंत्रण
  • खेत के चारों ओर आग जलानी चाहिए जिससे पाले का प्रकोप फसल पर कम होगा।
  • रोग प्रतिरोधक प्रजातियों उगाना चाहिए।
  • इस रोग का नियंत्रण करने के लिए 20 लीटर पानी में  35-40 ग्राम मैंकोज़ेब प्लस कार्बेंडाजिम का रोग लक्षण दिखने पर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।
  • इसके अलावा हेक्साकोनाजॉल एक एमएल प्रति लीटर पानी में  मिला कर छिड़काव कर सकते हैं।
  • इसके अलावा 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम एन्ट्राकॉल मिला कर छिड़काव करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर कस्टोडिया मिला कर छिड़काव करें।


डा. सुशील कुमार, मौटुषी दास, प्रेरणा भार्गव व डा.विकास सिंह सेंगर,
असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर
शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल स्ट्डीज देहरादून उत्तराखंड

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