किनोवा एक अनाज वाली फसल है। यह चिनोपोडिएसी ( बथुआ ) कुल का सदस्य है। किनोवा एक स्पेनिश शब्द है। इसका बीज अनाज की भांति उपयोग में लाया जाता है। यह घास कुल (ग्रेमिनी) का सदस्य नहीं है इसलिए इसे बक व्हीट, चौलाई की तरह ही कूट अनाज (स्युडोसिरियल) की श्रेणी में रखा गया है।
प्राचीनकाल से ही हमारे देश में बथुआ खाद्यान्न एवं हरी पत्तेदार सब्जी के रूप में प्रयोग होता रहा है। वास्तव में हरी पत्तेदार सब्जियों में पोषण व स्वास्थ्य की दृष्टि से इसका कोई मुकाबला नहीं है। किनोवा को खाने से मनुष्य को लंबा व स्वस्थ जीवन मिलता है इसलिए पुरानी इन्कास सभ्यता में यह पवित्र अनाज माना जाता था और लोग इसे मातृ दाना (मदर ग्रेन) भी कहते थे।
कम जल की मांग करती है किनोवा की फसल, जाने इसकी खास बात क्या- क्या है-
1. किनोवा की खेती के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है।
2. इसकी फसल वर्षा आधारित व कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी ली जा सकती है।
3. अच्छी पैदावार के लिए बुआई के एक माह बाद तथा फूल आने से पूर्व 2 - 3 बार हल्की सिंचाई करना पर्याप्त रहता है।
4. यह सामान्यत: बिना खरपतवारनाशी का प्रयोग करके ही उगाया जाता है।
5. इसके लिए अभी तक कोई भी खरपतवारनाशी संस्तुत नहीं है।
6. बुआई के एक माह बाद निराई - गुडाई कर खरपतवार निकाल देने से फसल की बढ़वार जल्दी होती है।