जैविक उर्वरक के उपयोग से बढ़ेगा गेहूँ का उत्पादन वैज्ञानिकों ने तैयार की ऐसी प्रजाति

जैविक उर्वरक के उपयोग से बढ़ेगा गेहूँ का उत्पादन वैज्ञानिकों ने तैयार की ऐसी प्रजाति
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Kisaan Helpline

Crops Mar 20, 2021

आप जानते है फसलों के उत्पादन में जैव उर्वरक की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन अभी भी किसान, फसलों में रासायनिक उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं। जिससे फसलों की लागत तो बढ़ रही है लेकिन किसानों के अपेक्षानुसार उपज नहीं बढ़ रही है। किसानों को इस नई उपज और जैविक खाद के माध्यम से इसकी उपज बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दरअसल जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञानी ने गेहूं की ऐसी फसल (सीड) तैयार की है, जो रासायनिक उर्वरक की बजाए जैविक उर्वरक के उपयोग से अधिक उपज देती है। विवि के कृषि विज्ञान केंद्र जबलपुर एवं नेशनल फर्टीलाइजर्स लिमिटेड द्वारा इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को इस नई उपज और जैविक खाद के माध्यम से इसकी उपज बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

जैविक खाद से ज्यादा उत्पादन: शहपुरा के अंतर्गत आने वाले पिपरिया कला में गेहूं के दो प्रयोग का किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देते हुए मृदा विज्ञानी डॉ.एके सिंह ने बताया कि खेतों पर पीएसबी एवं जेडएसबी जैविक उर्वरक एक तरह उर्वरक एवं बेंटोनाइट सल्फर के उपचार के साथ प्रयोग किए गए, जिनके अच्छे परिणाम सामने आए।

जैव उर्वरक से उपज बढ़ती और लागत घटती है: कृषि विज्ञानी डॉ.यतिराज खरे ने बताया कि जेडब्ल्यू 3288 एक ऐसी प्रजाति है, जो जैव उर्वरक के साथ अच्छी उपज देती है। किसानों ने बताया कि जैव उर्वरक से उपज बढ़ती और लागत घटती है, लेकिन इसके सही उपयोग के बारे में विज्ञानियों ने उन्हें जानकारी दी है।

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