श्री विधि से सरसों की खेती: अब तक आपने धान-गेहूं की फसल एसआरआई विधि से बोई होगी, जो सामान्य बुआई से ज्यादा उत्पादन देती है। किसान श्रीविधि से धान-गेहूं ही नहीं बल्कि सरसों की भी बुआई कर दोगुना उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
सरसों की बुआई की श्री विधि पर कई वैज्ञानिकों ने शोध किया है और पाया है कि इस विधि से सरसों की फसल की अधिकतम उपज प्राप्त की जा सकती है। दरअसल, श्री विधि में एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच करीब 20 से 50 सेमी की जगह छोड़ी जाती है, ताकि पौधे का विकास ठीक से हो सके। इस विधि में पानी की मात्रा भी बहुत कम होती है। वहीं, सरसों की फसल की बुआई का सही समय अक्टूबर से नवंबर तक है।
कैसे होती है श्री विधि से सरसों की खेती?
यह सरसों की खेती की वह विधि है जिसमें श्री विधि के सिद्धांतों का पालन करके अधिक उपज प्राप्त की जाती है जैसे -
- कम बीज दर मात्र 50 ग्राम से 250 ग्राम प्रति एकड़।
- बीज शोधन एवं बीजोपचार।
- उपचारित एवं अंकुरित बीजों की उपयुक्त नर्सरी तैयार करना।
- 3 से 4 पत्तियों वाले 12 से 15 दिन पुराने पौधों की रोपाई करें।
- पौधे से पौधे और पंक्ति से पंक्ति की उचित दूरी रखें।
- कम से कम दो से तीन बार खरपतवार निकालें और कोन-सीडर कुदाल से निराई-गुड़ाई करें।
- फसल की देखभाल सामान्य सरसों की फसल की तरह की जाती है।
बीज चयन
इस विधि से बुआई के लिए किसी विशेष प्रकार के बीज की आवश्यकता नहीं होती है, आपको अपने क्षेत्र के अनुसार विकसित बीज का ही चयन करना चाहिए। यदि बीज पुराना है तो नये बीज का प्रयोग करें।
बीज की मात्रा
बीज की मात्रा फसल की अवधि पर निर्भर करती है। यदि लंबे दिनों वाली किस्म है तो बीज की मात्रा की आवश्यकता होगी और यदि छोटे दिनों वाली किस्म है तो बीज की मात्रा की आवश्यकता होगी।
बीज शोधन/बीज उपचार
बीज की मात्रा के अनुसार दोगुना पानी लें। बीजों को गुनगुने पानी में डालें और हल्के तथा तैरते बीजों को हटा दें। गुनगुने पानी और गुड बीज में गोमूत्र, गुड़ और वर्मीकम्पोस्ट की आधी मात्रा मिलाकर छह से आठ घंटे के लिए छोड़ दें। बीज को तरल से अलग कर उसमें दो ग्राम बाविस्टिन या कार्बेन्डाजिम दवा मिलाकर सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें और 12 से 18 घंटे तक अंकुरित होने के लिए रख दें। स्थानीय मौसम के आधार पर समय कम या ज्यादा लग सकता है। अंकुरित बीजों को नर्सरी में 2x2 इंच की दूरी पर आधा इंच की गहराई पर बोयें।
सरसों की नर्सरी की तैयारी
- इसके लिए आपको एक सब्जी के खेत का चयन करना चाहिए।
- फसल अवधि के अनुसार खेत में छोटी और बड़ी नर्सरी बेड बनाएं। ध्यान रखें कि इन क्यारियों की चौड़ाई और लंबाई 1 मीटर तक होनी चाहिए।
- इसके बाद प्रति वर्ग मी. 2 से 2.5 किलो में. वर्मीकम्पोस्ट, 2 से 2.5 ग्राम कार्बोफ्यूरान को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
- फिर दोनों क्यारियों के बीच 1 फीट की नाली तैयार कर लें।
- ध्यान रखें कि सरसों की बुआई करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
- अंकुरित बीजों को खेत में पंक्ति से पंक्ति 2 इंच तथा बीज से बीज 2 इंच की दूरी पर रोपें। इन बीजों की गहराई कम से कम आधा इंच रखें।
- इन सबके बाद नर्सरी बेड को वर्मीकम्पोस्ट और पुआल से ढक दें।
- फिर आपको सुबह और शाम को खेत में स्प्रिंकलर सिंचाई करनी होगी।
- अगर आप इस विधि को अपनाते हैं तो 12 से 15 दिन में सरसों की रोपाई करके पौधे तैयार कर सकते हैं।
खेत की तैयारी
- जिस खेत में श्री विधि से सरसों की बुआई करनी है उसमें पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
- यदि खेत सूखा है तो सिंचाई (पलेवा सिंचाई) द्वारा जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें तथा हाथ से खेत से खरपतवार निकाल दें।
- सरसों की फसल की अवधि के अनुसार उचित अंतराल (पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे) पर 6 इंच चौड़े और 8 से 10 इंच गहरे गड्ढे बनाएं। इसे दो से तीन दिन के लिए छोड़ दें।
- एक एकड़ भूमि के लिए 50 से 60 क्विंटल खाद, चार से पांच किग्रा. ट्राइकोडर्मा, 27 कि.ग्रा. डी.ए.पी., एवं 13.5 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश को अच्छी तरह से मिलाएं और प्रत्येक गड्ढे में इस उर्वरक की बराबर मात्रा डालें और फिर इसे एक दिन के लिए छोड़ दें।
- रोपाई से दो घंटे पहले नर्सरी में नमी बनाए रखें। नर्सरी बेड से पौधे को मिट्टी सहित सावधानीपूर्वक हटा दें।
- नर्सरी से पौधे निकालते समय इस बात का ध्यान रखें कि किसी फावड़े या फावड़े की सहायता से कम से कम एक से दो इंच मिट्टी सहित पौधों को नर्सरी से हटा दें।
- पौध को नर्सरी से निकालकर आधे घंटे के अंदर गड्ढे में रोपित कर दें।
- रोपण से पहले प्रत्येक गड्ढे में मिट्टी सहित सावधानीपूर्वक रोपण करना सुनिश्चित करें।
- ध्यान रहे कि रोपण ज्यादा गहरा न हो।
- रोपाई के बाद तीन से पांच दिन तक खेत में नमी बनाए रखें, ताकि पौधा खेत में अच्छे से विकसित हो सके।
- जहां मिट्टी भारी हो वहां पत्तागोभी की तरह सूखी रोपाई करें और रोपाई के तुरंत बाद जीवन रक्षक सिंचाई करें।
फसल की देखभाल
पहली सिंचाई बुआई के 15-20 दिन के अन्दर करें। 3-4 दिन बाद खेत में 3-4 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट में 13.5 किलोग्राम यूरिया मिलाकर खेत में कुदाल या फिर खुरपा चलाएं। फिर आपको 15-20 दिन बाद खेत में दूसरी सिंचाई करनी होगी। अंत में आपको रोटरी वीडर/कोनी बीडर या कुदाल से खेत की गुड़ाई करनी होगी। इसी तरह 35 दिन बाद आपको वर्मीकम्पोस्ट में 13.5 किलो यूरिया और 13.5 किलो पोटाश मिलाना है। सरसों की फसल की तीसरी सिंचाई बुआई के 35 दिन बाद करनी चाहिए।