sona-moti wheat variety cultivation: इस समय रबी सीजन की फसलों की बुआई अंतिम चरण में चल रही है। जो किसान अभी तक गेहूं की बुआई नहीं कर पाए हैं, वे इस माह भी गेहूं की देर से बुआई कर सकते हैं। इसके लिए कई किस्में हैं जो बेहतर उत्पादन देती हैं। गेहूं की किस्मों में एक ऐसी किस्म है जिसकी खेती काफी समय से की जा रही है। खास बात यह है कि इस किस्म की गुणवत्ता बेहतर होने के कारण बाजार में इसके काफी अच्छे दाम मिलते हैं, पिछले साल यह गेहूं पंजाब में 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिका था। ऐसे में इस तरह की खेती किसानों के लिए काफी फायदे का सौदा साबित हो सकती है।
सोना मोती गेहूं किस्म की खेती
सोना मोती गेहूं किस्म की खेती देश में प्राचीन काल से की जा रही है। गेहूं में किसी भी अन्य अनाज की तुलना में तीन गुना अधिक फोलिक एसिड होता है। इतना ही नहीं, इसमें लगभग 267 प्रतिशत अधिक खनिज और 40 प्रतिशत अधिक प्रोटीन पाया जाता है। गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड बहुत फायदेमंद होता है। इससे बाल भी मजबूत होते हैं। साथ ही, गेहूं की इस किस्म में ग्लाइसेमिक सामग्री और फोलिक एसिड अधिक होता है। कुल मिलाकर, गेहूं की यह प्राचीन किस्म अपने उच्च पोषण गुणों के लिए जानी जाती है। जिसे लोग अब खूब पसंद कर रहे हैं। हेल्दी होने के कारण सोना-मोती गेहूं किस्म की मांग अधिक रहती है। इसकी कीमतें गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में अधिक हैं। पंजाब में पिछले सीजन में यह 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिका था। यह किस्म महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में लोकप्रिय है।
गेहूं की किस्म सोना-मोती की खेती को बढ़ावा
बिहार में पारंपरिक सोना-मोती गेहूं किस्म की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए बिहार सरकार ने इस किस्म के बीज उत्पादन को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इसके तहत गया और बेगुसराय के एक-एक कृषि क्षेत्र में खेती की जायेगी। अन्य स्थानों पर इसकी खेती के लिए बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी।
बिहार राज्य निगम लिमिटेड को बीज उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसकी खेती 'आत्मा' के माध्यम से की जा रही है। इसका उद्देश्य बीज उत्पादन कर अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती को बढ़ावा देना है।
सामान्य गेहूं की तुलना में 4 गुना ज्यादा दाम पर बिकता है
सोना मोती किस्म का गेहूं सामान्य गेहूं से 4 गुना ज्यादा दाम पर बिकता है। फिलहाल यह गेहूं बाजार में 8000 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बिक रहा है। पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इस गेहूं की मांग अन्य गेहूं की तुलना में अधिक है। इस गेहूं की पैदावार प्रति एकड़ 15 क्विंटल तक होती है जबकि दूसरे गेहूं की पैदावार 20 क्विंटल तक होती है।
सोना मोती गेहूँ की उपज कितनी होती है?
- सोना मोती गेहूं की खेती कम उपजाऊ भूमि में भी आसानी से की जा सकती है।
- इस किस्म के गेहूं की खेती में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। जहाँ सामान्य गेहूँ किस्म में 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है, वहीं इस किस्म में 3 सिंचाई भी पर्याप्त होती है।
- यदि इस किस्म की खेती जैविक और प्राकृतिक तरीकों से की जाए तो रसायनों और कीटनाशकों पर होने वाले भारी खर्च को बचाया जा सकता है। इससे खेती की लागत कम हो जायेगी।
- इस किस्म की खेती जैविक एवं प्राकृतिक तरीकों से करने पर भी अन्य गेहूं की तुलना में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। इस गेहूं की औसत उपज 12 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।