इस औषधीय पौधे के बीज- पत्ते और जड़ों तक की होती है बिक्री, इस औषधीय पौधे की खेती करने से होगी लाखों में कमाई

इस औषधीय पौधे के बीज- पत्ते और जड़ों तक की होती है बिक्री, इस औषधीय पौधे की खेती करने से होगी लाखों में कमाई
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Sep 27, 2021

यदि किसान पारंपरिक फसलों की खेती के साथ औषधीय पौधे की खेती करें तो वे मालामाल हो सकते हैं। भारत में औषधीय पौधों की बहुत महत्वता है। यहाँ पर औषधीय पौधों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, भारत से औषधीय पौधों का निर्यात भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। ऐसे में किसान की रुचि औषधीय खेती की तरफ बढ़ रही है।

औषधीय पौधों के उपयोग की बात करें तो इसका उपयोग इत्र, साबुन और कीटनाशक समेत कई प्रकार की औषधीय दवा एवं विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद बनाने में किया जाता है। इसके साथ ही सरकार भी इन औषधीय पौधों की खेती को काफी बढ़ावा दे रही है।

इसी तरह का एक औषधीय पौधा है सर्पगंधा, इसे एशिया महाद्वीप का पौधा माना जाता है। अपने देश में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में 400 वर्ष से सर्पगंधा की खेती किसी न किसी रूप में हो रही है। पागलपन और उन्माद जैसी बीमारियों के निदान में इसका उपयोग किया जाता है। सांप और अन्य कीड़े के काटने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

सर्पगंधा की खेती करने का तरीका
बीज द्वारा नर्सरी में बिचड़ा तैयार किया जा सकता है। इसके लिए ऊंचा नर्सरी बनाते हैं। बीज की बुआई वर्षा के आरंभ में (मई-जून) में करते हैं और रोपाई अगस्त माह में करते हैं। एक हेक्टेयर के लिए 8-10 किलो बीज की आवश्यकता होती है। बुआई के पहले बीज को पानी में 24 घंटे पानी में फुला लेने पर अंकुरण अच्छा होता है। बीज अंकुरण कम (15-30 प्रतिशत) होता है और 3-4 सप्ताह समय लगता है। नर्सरी में 20-25 सेंटीमीटर के फासले पर 2 सेंटीमीटर गहरे कुंड में 2-5 सेंटीमीटर की दूरी पर गिराते हैं। दो माह के बाद तैयार बिचड़े को 45 सेंटीमीटर गुना 50 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करते हैं।

ऐसे तैयार करें कलम
जड़ में कलम के लिए पेंसिल मोटाई के 2.5 से 5 सेंटीमीटर लंबाई के छोटे छोटे टुकड़े किए जाते हैं। इसे 5 सेंटीमीटर की गहराई पर पौधशाला में लगाते हैं। तीन सप्ताह बाद कल्ले आने पर तैयार खेत में रोपाई करते हैं। तना से पौधा तैयार करने के लिए 15-20 सेंटीमीटर पेंसिल मोटाई के कलम बनाते हैं। हरेक कलम में 2-3 नोड (गांठ) रहना जरूरी है। कलम को पौधशाला में लगाते हैं। 4-6 सप्ताह में रूटेड कटिंग को तैयार खेत में रोपाई करते हैं।

मई में करें खेत की जुताई
इस पौधे को रोपने के लिए मई में खेत की जुताई करें। वर्षा आरंभ होने पर गोबर की सड़ी खाद 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देकर मिट्टी में मिला दें। लगाते समय 45 किलो नाइट्रोजन, 45 किलो फॉस्फोरस तथा 45 किलो पोटाश दें। नाइट्रोजन की यही मात्रा (45 किलो) दो बार अक्टूबर एवं मार्च में दें। कोड़ाई कर खरपतवार निकाल दें। जनवरी माह से लेकर वर्षा काल आरंभ होने तक 30 दिन के अंतराल पर और जाड़े के दिनों में 45 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। सर्पगंधा डेढ़ से दो वर्ष की फसल है।

पैदावार
औसत उपज प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल, 70-80 रुपए प्रति किलो में होती है बिक्री।

सर्पगंधा की उन्नत खेती की सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें:

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline