अनगिनत फायदों वाली हल्दी आपकी निष्प्रयोज्य जमीन को भी काम का बनाकर कमाई का जरिया बन सकती है। छायादार स्थान, बाग, खलिहान में हल्दी की खेती कर किसान सात-आठ माह के भीतर अपनी लागत का चार गुना मुनाफा कमा सकते हैं। सब्जी तथा दूसरी फसलों में नुकसान होने से संकट से जूझ रहे किसानों के लिए हल्दी की फसल फायदेमंद साबित हो सकती है। कोरोना संक्रमण काल में हल्दी की डिमांड बढऩे से किसानों का रुझान अब हल्दी की तरफ बढ़ रहा है। किसानों ने हल्दी का रकबा बढ़ा दिया है। धान और गेहूं का अच्छा दाम न मिलने से परेशान किसानों के लिए हल्दी की खेती (Turmeric farming) लाभदायक साबित हो सकती है। क्योंकि कोरोना संक्रमण काल में इसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट दोनों में काफी बढ़ गई है। ऐसे में इस तरफ रुझान किसानों की आर्थिक सेहत के लिए अच्छा साबित हो सकता है।
हल्दी की बुवाई का उचित समय, बीज दर, पैदावार
हल्दी की बुवाई का समय अप्रैल के दूसरे पखवाड़े से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक की जाती है। प्रति हेक्टेयर में 15 से 20 क्विंटल बीज लगते हैं। प्रति हेक्टेयर में 200 से 250 क्विंटल की पैदावार होती है। पेड़ से पेड़ की दूरी एक फीट होनी चाहिए। अच्छी उपज के लिए जुलाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर 250-300 क्विंटल गोबर की खाद और 20 किग्रा मिधाइल जुताई के समय भूमि में डालकर अच्छी तरह मिला दिया जाता है।
हल्दी उत्पादक राज्य और एक्सपोर्ट
एपिडा (APEDA-Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के मुताबिक तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय और महाराष्ट्र इसके प्रमुख उत्पादक हैं. यूएसए, यूके, ईरान और बांग्लादेश में इसका सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट होता है. मसला बोर्ड के मुताबिक, 2018-19 में 1,33,600 टन हल्दी का एक्सपोर्ट हुआ और उससे भारत को , 1,41,616.00 लाख रुपये मिले. 2018-19 में भारत में 2,53,406 हेक्टेयर में 9,59,797 टन हल्दी का उत्पादन हुआ।
कोझीकोड, केरल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)के अधीन काम करने वाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पाइसेज रिसर्च है, यहां एग्री इकोनॉमिक्स पर काम करने वाले सीनियर साइंटिस्ट डॉ. लीजो थॉमस कहते हैं, “2020 में हल्दी के निर्यात का आंकड़ा अभी तक नहीं आया है, लेकिन इतना तय है कि कोरोना में इम्यूनिटी बूस्टर की मांग बढ़ने की वजह से एक्सपोर्ट ऑर्डर काफी बढ़ गया है.”
कृषि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि भारत में हल्दी निर्यात के लिए मीडिल ईस्ट, यूएसए, बांग्लादेश एवं यूरोप आदि से हल्दी की मांग बढ़ी है. जबकि, मलेशिया, ईरान, दुबई लिए एक्सपोर्टर नए कॉन्ट्रैक्ट साइन कर रहे हैं।
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