खीरे की खेती ग्रीन हाउस या पॉली हाउस में आसानी से की जा सकती है। इसका उपयोग सलाद, रायता और अचार के लिये में किया जाता है। खीरे का फल ठंडा होने के कारण इसका उपयोग पीलिया, कब्ज आदि बीमारियों में किया जाता है। इसके बीज का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं एवं बीजों से प्राप्त तेल शरीर तथा मस्तिष्क के लिए उपयोगी होता है।
खीरा एक-वर्षीय लता है। इसकी पत्तियाँ सरल, सवृत्त तथा पार्णिवृन्त होती है। मूलतः यह एक एकलिंगी होता है जिसमें नर एवं मादा फूल एक ही पौधे पर अलग-अलग जगह पर लगते हैं। नर फूल जल्दी गुच्छे में तथा पुष्प वृन्त पर उत्पन्न होते हैं। जबकि मादा फूल देर से एवं लम्बे पुष्प वृन्त पर उत्पन्न होते हैं।
सामान्यतः खीरा एक पर-परागित फसल है और परागण घरेलू मक्खियों या मधुमक्खियों के द्वारा होता है। पॉलीहाउस में मधुमक्खियों के रख-रखाव में आने वाली अधिक कठिनाइयों तथा कीटनाशकों के प्रभाव से मधुमक्खियों का बचाव के कारण पॉलीहाउस में खीरे की पार्थेनोकारपिक प्रजाति ही लगाते हैं, क्योंकि इसमें केवल मादा फूल ही पुष्प वृन्त पर लगते हैं। इस लेख में पॉली हाउस में खीरे की खेती वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें की जानकारी उपलब्ध है।
अनुकूल जलवायु
खीरा एक गर्म मौसम की फसल है। अतः इसकी वृद्धि के लिए 27 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। यह अधिक ठण्ड एवं पाले के प्रति संवेदनशील होता है और अधिक तापमान तथा आर्द्रता होने से इसमें पाउडरी मिल्ड्यू रोग उत्पन्न होता है। इसके लिए न्यूनतम 15.5, औसत 35.0 और अधिकतम 40.5 प्रतिशत की आवश्यकता होती है, वहीं पॉली हाउस में खीरे की खेती हेतु आर्द्रता 65 से 70 और नमी 90 उचित रहती है।
किस्म का चयन
किसानों को पॉली हाउस में खीरे की खेती के लिए अधिक उपज वाली संकर किस्मों का चयन करना चाहिए। ताकि पॉली हाउस में खीरे की फसल से अधिकतम उपज प्राप्त की जा सके पॉली हाउस के लिए कुछ प्रचलित किस्मे इस प्रकार है, जैसे- चाइना, प्वाइनसेट, लौंग ग्रीन, सुपर ग्रीन, स्ट्रेट 8, बालम खीरा, पूना खीरा, पुसा संयोग (संकर) और पारथेनोकारपिक किस्म-कियान, इसाटिस आदि प्रमुख है।
बुवाई का समय
पॉली हाउस में खीरे की खेती सामान्यतः पूरे वर्ष की जाती है, लेकिन मुख्य बुवाई का समय इस प्रकार है, जैसे
ग्रीष्मकालीनः ग्रीष्मकालीन खीरे की बुवाई का समय फरवरी से मार्च उचित माना गया है।
वर्षाकालीनः वर्षाकालीन बुवाई का समय मई से जून मैदानी क्षेत्रों के लिए और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए मार्च से मई उपयुक्त रहता है।
बीज की मात्रा
खीरा की खेती के लिए 2 से 2.25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है।
पौधे तैयार करने का तरीका
पॉली हाउस में खीरे की खेती हेतु पौधे तैयार करने के लिए 50 छिद्रों वाले प्रो ट्रे का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें एक-एक बीज सभी छिद्रों में बोते हैं। प्रो टे में भरने हेतु मिश्रण जैसे कोकोपीट, परलाइट एवं वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं। कोकोपीट, परलाइट और वर्मीकम्पोस्ट की बराबर मात्रा को अच्छी तरह मिलाकर प्रो ट्रे में भर लेते हैं तथा सभी छिद्रों में एक-एक बीज की बोआई करते हैं। बीज बोने के उपरान्त 3 से 4 दिन के अन्दर अकुरण हो जाता है और पौधे 20 से 25 दिनों में रोपण हेत तैयार हो जाते हैं।
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
पॉली हाउस में खीरे की खेती के लिए कम्पोस्ट या गोबर की खाद 10 से 15 किलो ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बीज बोने के 3 से 4 सप्ताह पहले भूमि तैयार करते समय मिट्टी में अच्छी तरह मिला देते हैं। इसके अलावा 7 ग्राम नाइट्रोजन, 4 ग्राम फास्फोरस और 5 ग्राम पोटाश प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाते हैं।
सिंचाई प्रबंधन
पॉली हाउस में खीरे की सिंचाई ड्रिप एवं स्प्रिंकलर के माध्यम से करते है जिसमें ड्रिप में दो एल पी एच का ड्रिपर लगते हैं, जो एक घंटे में दो लीटर पानी पौधे को देते हैं। पौधों को प्रति दिन 2 से 3 लीटर पानी प्रति पौधा देते हैं। खीरे में चूंकि नमी 90% होनी चाहिये, इसलिए स्प्रिंकलर द्वारा दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव करना चाहिए। सिंचाई साथ उर्वरक फर्टिगेशन प्रणालीद्वारा दिये जाते हैं। 10 से 12 दिन के अन्तराल पर घुलनशील 19:19:19 (एनपीके) उर्वरक 2.8 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से देना चाहिये।
मल्चिंग का प्रयोग
पॉली हाउस में खीरे की खेती हेतु क्यारी बनाते समय काली पॉलीथीन फिल्म का प्रयोग लाभप्रद होता है क्योंकि इससे खरपतवार का कुप्रभाव फसल के ऊपर नहीं पड़ता और नमी लम्बे समय तक बनी रहती है।
पौधरोपण का तरीका
पॉली हाउस में खीरे की खेती के लिये एक मीटर चौड़ी एवं 15 सेंटीमीटर ऊँचाई वाली क्यारी बनाते हैं। उसके उपरान्त उस पर ड्रिप लाइन और मल्चिंग बिछाते हैं। मल्चिंग बिछाने के उपरान्त 75 × 75 सेंटीमीटर की दूरी पर छेद काट कर एक-एक पौधे की बुआई करते हैं। बुआई के बाद पौधे की सिंचाई हजारे की सहायता से करते हैं जब तक पौधा सही ढंग से स्थापित न हो जाए।
पौधे को सहारा देना
खीरा एक लता वाली फसल है, जिसमें फसल को सहारा देने हेतु मचान बनाते हैं जिसमें प्लास्टिक सुतली द्वारा पौधे को ऊपर की ओर सहारा देते हैं। सहारा देने में पौधे को बांधते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि पौधे सुतली के दबाव से कटने न पाये। पौधे की ऊँचाई बढ़ने के साथ सुतली को ढीला कर पौधे के फलन क्षेत्र को नीचा किया जाता है, जिससे तुड़ाई में आसानी हो ।
फल तुड़ाई का समय
पॉली हाउस में खीरे की फल तुड़ाई किस्म पर निर्भर करती है लेकिन आमतौर पर पौधे लगाने के 35 से 40 दिन उपरान्त फल तोड़ने हेतु तैयार हो जाते हैं। फलों की तुड़ाई 3 से 4 दिनों के अंतराल पर करना चाहिये। फलों की तुड़ाई के उपरान्त इन्हें सावधानीपूर्वक प्लास्टिक की क्रेट में रखकर बाजार में भेजा जाता है।
पैदावार
उपरोक्त वैज्ञानिक तकनीक से पॉलीहाउस में खीरे की खेती करने पर उपज 250 से 500 क्विं प्रति हे. प्राप्त होती है।