देशभर में रबी सीजन की गेहूं की फसल की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है। अब अधिकांश स्थानों पर फसल सिंचाई के दायरे में आ गई है। अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई बहुत जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में गेहूं उत्पादन कम होने के कई कारण हैं। इनमें सबसे प्रमुख कारण है सिंचाई की कमी या सही समय पर सिंचाई न करना। गेहूँ में जल प्रबंधन एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। गेहूं की सिंचाई कब करें यह मिट्टी में नमी की मात्रा, पौधों की पानी की मांग और मौसम पर निर्भर करता है। गेहूं की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए लगभग 40 सेमी पानी की आवश्यकता होती है।
इन दिनों देश में गेहूं की सिंचाई का समय है। गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई बहुत जरूरी है। गेहूं की खेती के लिए 4 से 6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। यदि किसान समय पर सिंचाई करें तो वह अपनी फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इस दौरान किसानों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ये जानना बेहद जरूरी है। अक्सर देखा जाता है कि कई किसान गेहूं की बुआई तो करते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती है. वहीं जिन किसानों ने बुआई के दौरान सिंचाई पर विशेष ध्यान दिया है, उन्हें बेहतर उत्पादन मिलता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं की फसल के लिए आमतौर पर 4-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। रेतीली मिट्टी में 6-8 सिंचाई तथा भारी दोमट मिट्टी में 3-4 सिंचाई पर्याप्त होती है। बलुई मिट्टी में सिंचाई हल्की (लगभग 5-6 सेमी. पानी) तथा दोमट एवं भारी मिट्टी में सिंचाई अधिक (6-7 सेमी.) करनी चाहिए। तभी गेहूं की फसल में अच्छा उत्पादन होगा।
सिंचाई कितने दिन पर की जाती है?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई के समय का ध्यान रखें। यदि केवल तीन सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हों तो शीर्ष अवस्था (20-25 दिन), गांठ अवस्था (65-70 दिन) और दूध अवस्था (105-110 दिन) पर सिंचाई करनी चाहिए। यदि केवल दो सिंचाई उपलब्ध हैं, तो इसे ताजमूल अवस्था और फूल अवस्था (90-95 दिन) पर करें। यदि केवल एक सिंचाई उपलब्ध है तो जड़ अवस्था में अर्थात बुआई के 20 से 25 दिन बाद पानी दें।
पूरे फसल चक्र के दौरान गेहूं को चार से छह सिंचाई की आवश्यकता होती है। यदि मिट्टी भारी है तो उसे चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और यदि मिट्टी हल्की है तो उसे छह बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। गेहूं की छह अवस्थाएं होती हैं जिनमें सिंचाई करना बहुत फायदेमंद होता है। इन परिस्थितियों के अनुसार ही गेहूं की सिंचाई करनी चाहिए। आइए जानते हैं ये छह चरण क्या हैं और गेहूं में आखिरी सिंचाई कब करनी चाहिए।
- पहली सिंचाई- बुआई के 20-25 दिन बाद जब जड़ें बनने लगें।
- दूसरी सिंचाई- बुआई के 40-45 दिन बाद जब कल्लें विकसित होने लगें।
- तीसरी सिंचाई- बुआई के 65-70 दिन बाद, जब तने में गांठें बनने लगें।
- चौथी सिंचाई- बुआई के 90-95 दिन बाद जब फूल आने लगें।
- पांचवी सिंचाई- बुआई के 105-110 दिन बाद जब दानों में दूध पड़ने लगें।
- छठी या अंतिम सिंचाई - बुआई के 120-125 दिन बाद जब गेहूं के दाने सख्त हो रहे हों।
सिंचाई कैसे करें
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गेहूं की फसल में परंपरागत रूप से उपयोग की जाने वाली सतही क्यारी विधि के स्थान पर सिंचाई की नवीनतम विधियों का उपयोग करें। ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाकर जल उपयोग दक्षता बढ़ाएँ और अधिक उपज प्राप्त करें। गेहूँ में चौड़ी मेड़ों और नाली सिंचाई में पानी की बचत करके जल उपयोग दक्षता को बढ़ाया जा सकता है। कई राज्यों में जल संकट है, इसलिए किसानों को सिंचाई के पारंपरिक तरीकों को छोड़कर नई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए।