Wheat Varieties: इस सीजन में गेहूं की दो नई किस्मों एचएस 542 और 562 के बीज किसानों को उपलब्ध होंगे। इस बार हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग को इन दोनों किस्मों की 300 क्विंटल प्रजनन बीज उपलब्ध करवाई गई है। किसान अपने ब्लॉक स्थित कृषि विभाग के सरकारी बीज बिक्री केंद्रों से बीज खरीद सकते हैं। हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में बुआई के लिए उपयुक्त इन किस्मों में फाइबर और प्रोटीन के अलावा जिंक और आयरन भी उपलब्ध होगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के शिमला स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने गेहूं की दो उन्नत किस्में विकसित की हैं, इस सीजन में गेहूं की दो नई किस्मों एचएस 542 और 562 के बीज किसानों को उपलब्ध होंगे।
गेहूं की नई किस्मों की विशेषताएं
गेहूं की इन नई किस्मों में कई महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं जो किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं:
1. पोषण: इन किस्मों में फाइबर, प्रोटीन, जिंक और आयरन की मात्रा अधिक होती है, जो आपके खाद्य पदार्थों को अधिक पौष्टिक बना देगी।
2. रोग प्रतिरोधी: ये किस्में पीले और भूरे रतुआ के प्रति प्रतिरोधी हैं, जो आपके पौधों को बीमारी से बचाती हैं।
3. चपाती और ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त: इन किस्मों का आटा चपाती और ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त होता है और इसमें अच्छे गुण होते हैं, जो आपकी रोटी और ब्रेड को बेहतर स्वाद और गुणवत्ता देगा।
बीज की उपलब्धता
गेहूं की इन नई किस्मों के बीजों की उपलब्धता भी एक बड़ी खबर है। कृषि विभाग को लगभग 300 क्विंटल प्रजनन बीज उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे किसानों को इन उन्नत किस्मों का सर्वोत्तम उपयोग करने का अवसर मिलेगा।
बीज बोने की तैयारी
इन नई किस्मों को बोने के कुछ महत्वपूर्ण नुकसान और सुझाव हैं:
बुआई का समय: इन किस्मों की बुआई का समय अक्टूबर है इसलिए किसानों को इसी माह बुआई करनी चाहिए।
खाद का उपयोग: बुआई के लिए खेत तैयार करने के लिए गोबर की खाद का उपयोग करें, इससे बीजों के अंकुरण में भी सुधार होगा।
नमी को लेकर सावधानी: अभी खेतों में नमी है, इसलिए यह नमी बीजों के अंकुरण में भी सहायक होगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र शिमला, गेहूं और जौ की किस्में विकसित करने के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस केंद्र ने गेहूं की लगभग 20 अच्छी किस्में विकसित की हैं। हिमाचल सहित उत्तरी पहाड़ी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में गेहूं की खेती मुख्य रूप से रबी मौसम में की जाती है। इसके अलावा, हिमाचल के किन्नौर, लाहौल स्पीति, पांगी और भरमौर तथा जम्मू-कश्मीर के कारगिल, लेह और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी गर्मी के मौसम में गेहूं की खेती की जाती है।
आईसीएआर शिमला ने कृषि विभाग को गेहूं की दो किस्मों एचएस 542 और एचएस 562 के लगभग 300 क्विंटल प्रजनन बीज उपलब्ध कराए हैं। इन बीजों में चपाती और ब्रेड बनाने के अच्छे गुण होते हैं। किसान भाइयों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए। - डॉ. धर्मपाल, केंद्र प्रमुख, आईसीएआर शिमला
जल्दी पकने वाले गेहूं के विकास पर काम चल रहा है
आईसीएआर क्षेत्रीय केंद्र शिमला गेहूं की सामान्य और जल्दी पकने वाली किस्मों को विकसित करने पर काम कर रहा है। आमतौर पर गेहूं की फसल 180 दिन में तैयार हो जाती है. संस्थान के वैज्ञानिकों का प्रयास है कि 150 से 160 दिन में तैयार होने वाली प्रजाति किसानों को उपलब्ध करायी जाये। संस्थान द्वारा विकसित एचएस 542 और एचएस 562 किस्मों की उपज सामान्य से अधिक है।
गेहूं की नई किस्म एचएस 542 (पूसा किरण) और एचएस 562 के बारे में
गेहूं: एचएस 542 (पूसा किरण) {HS 542 (Pusa Kiran)}
रिलीज़ का वर्ष : 2015
विशेषताएँ : वर्षा आधारित परिस्थितियों में 6.03 टन/हेक्टेयर अनाज उपज क्षमता वाली एक अर्ध-बौनी किस्म। एचएस 542 में चपाती और ब्रेड बनाने के अच्छे गुण हैं। यह किस्म धारीदार और पत्ती रतुआ रोग प्रतिरोधी है।
औसत उपज : 3.3 टन/हेक्टेयर
उत्पादन की स्थिति : जल्दी बोई गई वर्षा आधारित
अनुशंसित क्षेत्र : उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ
गेहूं: एचएस 562 (HS 562)
रिलीज़ का वर्ष : 2015
विशेषताएँ : सिंचित स्थिति में इसकी आनुवंशिक उपज क्षमता 6.2 टन/हेक्टेयर है। इसमें पत्ती और धारीदार जंग के प्रति अच्छा स्तर का प्रतिरोध दिखाया गया है और इसमें चपाती और ब्रेड बनाने के अच्छे गुण हैं।
औसत उपज : वर्षा आधारित स्थिति: 3.6 टन/हेक्टेयर
सिंचित स्थिति : 5.2 टन/हेक्टेयर
उत्पादन स्थिति : समय पर बुआई-वर्षा आधारित और सिंचित।
अनुशंसित क्षेत्र : उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र