Wheat Variety: खरीफ सीजन के इस समय देश के ज्यादातर हिस्सों में सोयाबीन की फसल पकने वाली है। सोयाबीन की खेती के बाद किसान साथी रबी फसलों की बुवाई में लग जाते हैं। किसान भागीदार के लिए गेहूं की बुवाई के लिए उपरोक्त किस्मों का चयन करना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इस वर्ष यानी 2022 में कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की एक नई किस्म वी.एल. 2041 (गेहूं वीएल 2041 नई किस्म 2022) विकसित की गई है। गेंहू की नई वी.एल. 2041 किस्म (Wheat VL 2041 New Variety 2022) उत्तराखंड के विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोडा द्वारा तैयार की गई है। हाल ही में आयोजित 61वीं अखिल भारतीय गेहूं तथा जौ शोधकर्ताओं की वार्षिक बैठक में बताया गया है। जिसका आयोजन दिनांक 29 से 31 अगस्त 2022 को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में आयोजित की गई।
गेहूं वीएल 2041 नई किस्म 2022
जानकारी के मुताबिक बता दे की, गेहूं की यह किस्म उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर के किसानों के उत्तम हैं। यानी की इन राज्यों में किसान इस किस्म को बोयेंगे तो उन्हें अच्छा उत्पादन मिलेगा, क्योंकि अलग-अलग क्षेत्रों की मिट्टी तथा जलवायु के हिसाब से अलग-अलग किस्में निश्चित उत्पादन देती है। यह जानकारी शोध में प्रमाणित हुई है। शोधकर्ताओं ने पिछले 3 सालों से वी.एल. 2041 किस्म (Wheat VL 2041 New Variety 2022) को 24 वर्षा और 5 सिंचित परीक्षणों में क्वालिटी 11.07 दर्ज की है, जो की पूरे देश में सर्वाधिक है।
संस्थान ने गेहूं की इस नई किसम को वीएल 2041 नाम दिया है। जिसे बेकरी उत्पाद तैयार करने के लिए सवोत्तम माना जा रहा है। इसके मायने यह है कि किसान गेहूं की वीएल 2041 किस्म का उत्पादन कर बाजार में बेहतर दाम प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि बेकरी उत्पाद बनाने के लिए बेहतर गेहूं के आटे की जरूरत होती है। जिसकी कीमत भी सामान्य गेहूं से अधिक हाेती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर एवं 9.07% प्रोटीन युक्त यह नई किस्म
आपको बता दें कि कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा द्वारा तैयार की गई यह किस्म रोग प्रतिरोधी क्षमता से भरपूर है और साथ ही यह किस्म आमतौर पर गेहूं में पाए जाने वाले रतुआ रोग के लिए प्रतिरोधी है। वहीं दूसरी ओर इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई गई है। जिसके तहत इस किस्म में औसतन 09.07 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा दर्ज की गई है। वहीं इसका दाना नरम होता है। इन सभी गुणों के कारण इस किस्म को बेकरी उत्पादों के लिए सर्वोत्तम कहा जा रहा है। जहां तक प्रोटीन की बात है तो इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई गई है। जिसके तहत इस किस्म में औसतन 9.07% प्रोटीन की मात्रा दर्ज की गई है। वहीं, इस प्रकार का अनाज नरम होता है। इन सभी गुणों के कारण इस किस्म को बेकरी उत्पादों के लिए सर्वोत्तम कहा जा रहा है।
कितनी होगी उपज (गेहूं वीएल 2041 नई किस्म 2022)
- असिंचित भूमि पर इस किस्म की औसत उपज 29.06 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
- सिंचित भूमि में इसकी उपज 49.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा चुकी है।
जानिए गेहूं की इन 3 किस्मों के बारे में भी
- हाल ही में इस साल पंजाब के कृषि विश्वविद्यालय ने भी गेहूं की 3 नई किस्में विकसित और जारी की हैं (गेहूं वीएल 2041 नई किस्म 2022)। जो पूरे देश के किसानों के लिए उपयोगी बताया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी गेहूं की नई किस्मों में PBW 826, PBW 872 और PB 833 आदि शामिल हैं।
- जिसमें से किसान उत्तर पश्चिम और उत्तर पूर्व (पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा) जैसे क्षेत्रों में PBW 826 किस्म की बुवाई कर सकते हैं।
- दूसरी ओर PBW (PBW) 872 उत्तर पश्चिम यानी गुजरात और एमपी के किसानों के लिए उपयुक्त है। इसी तरह PBW 833 नॉर्थ ईस्ट यानी पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के किसानों के लिए लागू है।