Wheat Cultivation: जैसा की आप जानते है वर्तमान समय में देश में खरीफ फसलों की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। किसान भी अब फसलों की बिक्री के लिए बाजार पहुंच रहे हैं। साथ ही कई इलाकों में गेहूं की खेती को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी है। हालांकि 5 नवंबर से 25 नवंबर तक का समय गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है, लेकिन कई किसान 20 अक्टूबर से ही गेहूं की शुरुआती खेती (अगेती खेती) के लिए गेहू की बुवाई करते हैं।
हम आपको गेहूं की दो किस्मों 'कुदरत 8' और 'कुदरत विश्वनाथ' के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। ये दोनों गेहूं की देसी किस्में हैं। जिसे वाराणसी जिले के कुदरत कृषि अनुसंधान संस्थान, ताड़िया, जक्खिनी के किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने विकसित किया है।
गेहूं की 'कुदरत 8' किस्म (Kudrat '8' variety of wheat)
- गेहूं कुदरत 8 विश्वनाथ प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी द्वारा विकसित बौनी किस्म की एक नई किस्म है।
- इस प्रजाति के पौधों की ऊंचाई करीब 90 सेंटीमीटर और बाली की लंबाई करीब 20 सेंटीमीटर (9 इंच) होती है।
- इसका दाना मोटा और चमकदार होता है।
- फसल पकने का समय 110 दिन है और इसकी उपज 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ है।
कुदरत 8 विश्वनाथ मौसम में घटते बढ़ते तापमान को सहने की क्षमता रखते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों के हजारों किसानों ने इस किस्म को परीक्षण के लिए लगाया, जिससे उन्हें जबरदस्त सफलता मिली और वे इस बीज के प्रशंसक बन गए।
गेहूं की कुदरत विश्वनाथी किस्म
कुदरत विश्वनाथ भी एक विशेष रूप से विकसित प्रजाति है। नवंबर के अंत से 10 जनवरी तक इस प्रजाति की बुवाई करने पर भी किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। पिछले साल यह किस्म तेज बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के प्रकोप में भी खेतों में खड़ी थी, क्योंकि इसका तना मोटा और मजबूत होता है। इसमें लंबे पत्ते और 9-10 इंच लंबे झुमके होते हैं।
प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी
जानकारी के लिए बता दें कि प्रकाश सिंह रघुवंशी अपना प्राकृतिक कृषि अनुसंधान संस्थान चलाते हैं, जो ताड़िया, जक्खिनी, जिला वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रकाश सिंह रघुवंशी ने अब तक फसल की लगभग 300 प्रजातियां विकसित की हैं, जिनमें गेहूं, धान, अरहर, मूंग और सब्जियां आदि कई ऐसी किस्में हैं, जिनका लाभ किसान उठा रहे हैं। जन कल्याणी मूंग इनमें से एक विशेष रूप से विकसित प्रजाति है। दो बार राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके। जिनसे आज हजारों किसानों को अच्छी पैदावार मिल रही है। शुरुआत में उन्होंने स्वदेशी किस्मों को विकसित कर किसानों के बीच मुफ्त बीज बांटे और लोगों को स्वदेशी बीजों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया।
किसान यहां से खरीदे गेहूं
यदि कोई किसान देशी बीज मंगवाना चाहता है तो वह कुदरत कृषि अनुसंधान संस्थान, ताड़िया से भी संपर्क कर सकता है। इसके साथ ही आप अपने जिले के नजदीकी सरकारी बीज केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं।