Agriculture Advisory: असिंचित/बारानी तथा सीमित सिंचाई व समय से गेहूं की बुआई अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह से प्रारम्भ कर दें। गेहूं की बुआई के लिए दिन का औसत तापमान 21-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। कम पानी व बारानी क्षेत्रों के लिए गेहूं की कई प्रजातियां विकसित की गई हैं, जिनको उगाकर ऐसे क्षेत्रों के किसान अच्छी उपज व अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।
गेहूं की प्रति हैक्टर बुआई के लिए 125 प्रति कि.ग्रा. बीज एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 23 सें.मी. तथा बीज की गहराई 5-7 सें.मी. रखनी चाहिए। उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करना उचित रहता है। असिंचित/बारानी तथा सीमित सिंचाई व समय से बुआई के लिए 60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 30 कि.ग्रा. फॉस्फोरस तथा 20 कि.ग्रा. पोटाश का प्रयोग करें।
हमेशा उन्नत, नयी तथा क्षेत्र विशेष के लिए संस्तुत प्रजातियों का चयन करना चाहिए। असिंचित / बारानी तथा सीमित सिंचाई व समय से बुआई के लिए गेहूं की उन्नत प्रजातियां जैसे-एच.आई. 1531, एच. आई. 8627, एच. आई. 1500, एच.डी. 4672, एच.डी. 2987, एच.डब्ल्यू. 2004, पी.बी.डब्ल्यू. 644, डब्ल्यू. एच. 1080, एच.डी. 2888 एवं अमर हैं।
रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण सुगम एवं आर्थिक दृष्टि से लाभदायक होता है। गेहूं बोने के तीन दिनों के अन्दर पेन्डिमेथीलीन की 1000 मि.ली. प्रति हैक्टर मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती एवं घासवर्गीय खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं। मेट्रिब्यूजिन की 175 ग्राम मात्रा प्रति हैक्टर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर बोने के 25-30 दिनों बाद प्रयोग करें अथवा सल्फोसल्फ्यूरॉन की 25 ग्राम मात्रा 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर में छिड़काव करें अथवा 25 ग्राम सल्फोसल्फ्यूरॉन + 4 ग्राम मेटासल्फ्यूरॉन मिथायल को 250-300 लीटर पानी में बोलकर एक हैक्टर में प्रयोग करें। रसायनों का छिड़काव खिली धूप वाले दिन जब हवा की गति बहुत कम हो तभी करें। संस्तुत मात्रा से कम या ज्यादा रसायनों के प्रयोग से फसल को हानि हो सकती है।