Wheat New Variety 2023: आईसीएआर और कृषि से जुड़े अन्य संस्थान किसानों को अधिक पैदावार के लिए उन्नत किस्मों के साथ-साथ वैज्ञानिक खोजों की भी लगातार जानकारी देते रहते हैं। इस बीच वैज्ञानिकों ने गेहूं की दो और जौ की एक नई किस्म की पहचान की है। वैज्ञानिकों के अनुसार, समय पर बुआई और सीमित सिंचाई स्थितियों के लिए उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए क्रमशः HD3386 और WH1402 नामक गेहूं की दो अधिक उपज देने वाली किस्मों की पहचान की गई है। आईसीएआर-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राजस्थान के सहयोग से गेहूं की 15 नई किस्मों और जौ की एक किस्म की पहचान की है।
आईसीएआर-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान के सहयोग से गेहूं की 15 नई किस्मों और जौ की एक किस्म की पहचान की है।
वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गई इन किस्मों से न केवल देश में खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ेगा बल्कि किसानों को गेहूं और जौ की नई किस्में भी मिलेंगी। समय पर बोई गई सिंचित भूमि के लिए गेहूं GW547 तथा असिंचित भूमि के लिए CG1040 एवं DBW359 को चिन्हित किया गया है। इसके साथ ही, प्रायद्वीप के प्रतिबंधित सिंचाई क्षेत्रों के लिए गेहूं की किस्मों DBW359, NW4028, UAS478, HI8840 और HI1665 की पहचान की गई है। वैज्ञानिकों ने कहा कि उत्तर-पश्चिम के सिंचित क्षेत्रों के लिए माल्ट जौ किस्म DWRB219 की भी पहचान की गई है।
आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि नई किस्मों की पहचान अखिल भारतीय गेहूं और जौ श्रमिक सम्मेलन में की गई, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से गेहूं और जौ की फसलों पर काम करने वाले शोधकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यशाला के दौरान उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने सितंबर के मध्य में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और निजी बीज कंपनियों के साथ नई जारी किस्मों DBW370, DBW371, DBW372, DBW316 और DDW55 का लाइसेंस देना शुरू हो चूका है।