भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, अघारकर अनुसंधान संस्थान (ARI) के वैज्ञानिकों द्वारा 'एमएसीएस 6478' (MACS 6478) नामक गेहूं की किस्म विकसित की गई है।
यह गेहूं की एक ऐसी किस्म है, जो फसल का उत्पादन (Crop Production) दोगुना बढ़ा सकती है. जैसा कि सभी जानते हैं कि ज्यादा उत्पादन मतलब ज्यादा मुनाफा, इसलिए वैज्ञानिक भी गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 Variety of Wheat ) को सबसे बेहतरीन किस्म मान रहे हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: इस किस्म ने महाराष्ट्र के एक गाँव करंखोप में किसानों की फसल पैदावार को दोगुना कर दिया है।
नव विकसित सामान्य गेहूं या ब्रेड व्हीट, जिसे उच्च उपज देने वाला एस्टिवम (Aestivum) भी कहा जाता है, 110 दिनों में परिपक्व हो जाता है और पत्ती और तने के रतुआ रोग का प्रतिरोधी है।
रोग प्रतिरोधी क्षमता वाले इसके पौधे भी मजबूत होते हैं, और इसके अनाज मध्यम आकार के होते हैं। इसकी पौष्टकिता भी दूसरी फसलों से ज्यादा होती है। इसके अनाज में 14 प्रतिशत प्रोटीन, 44.1 पीपीएम जस्ता और 42.8 पीपीएम आयरन होता है. इस किस्म पर एक शोध पत्र करंट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज’मे भीं प्रकाशित हो चुका है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2025 तक भारत की आबादी लगभग 1.4 बिलियन हो सकती है जिसके लिए गेहूं की मांग भी लगभग 117 मिलियन टन तक हो सकती है जिसके लिए उत्पादन बढ़ाना जरूरी है। ऐसे में बीज की नई किस्में इसमें मददगार बन सकती है।
भारत में पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड आदि प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य है।
बीज गुणन के लिए महाराष्ट्र राज्य बीज एजेंसी, 'महाबीज' किसानों के उपयोग के लिए 'एमएसीएस 6478' का प्रमाणित बीज उत्पादन कर रही है।