गर्मी के मौसम में बैंगन की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं किसान, इस तरह करें बैंगन की खेती

गर्मी के मौसम में बैंगन की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं किसान, इस तरह करें बैंगन की खेती
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Kisaan Helpline

Crops Apr 01, 2024

Brinjal Farming: रबी, खरीफ एवं गरमी तीनों मौसम में बैंगन की खेती देश के सभी राज्यों में की जाती है। लोगों में भ्रम हैं कि बैंगन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जबकि खाँसी, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, रक्त की कमी जैसे रोगों में बैंगन लाभदायक है। साथ ही साथ लहसुन मिलाकर सूप बनाकर पीले पर गैस व पेट की बीमारियों में लाभ होता है। इसमें बैंगन को भूनकर शहद के साथ खाने पर नींद अच्छी आती है। सफेद बैंगन शुगर रोगियों के लिए लाभदायक है।

जलवायु
बैंगन का लम्बे गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। अत्यधिक सर्दियों में इस फसल को नुकसान पहुँचाती हैं।

भूमि एवं खेत की तैयारी
दोमट एवं हल्की भारी मिट्टी बैंगन की फसल के लिए सर्वोत्तम मानी गयी है। इसके अतिरिक्त लगभग सभी मिट्टियों में बैंगन की खेती संभव है। मिट्टी उर्वरक होनी चाहिए तथा जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। आवश्यकतानुसार तीन जुताई कर पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी बनायें। इसके बाद खेत को सिंचाई सुविधानुसार क्यारियों में बाँट लें।

उन्नत किस्में
बैंगन में कई तरह की प्रजातियों पाई जाती है, जैसे लम्बा बैंगनी, लम्बा हरा, सफेद, छोटा कलौजी बैंगन एवं गोल बैंगन अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय मांग के आधार पर किसानों द्वारा प्रजातियों का चयन कर खेती की जाती है। प्रमुख संकर किस्मों में पूसा हाइब्रिड-5, पूसा हईब्रिड-6, पूसा अनमोल, अर्का नवनीत, एन.डी.बी.एच एवं सामान्य उन्नत किस्मों में पंत बैंगन, पंत सम्राट, पंत ऋतुराज, राजेन्द्र बैगन-2, सोनाली, कचबचिया, पूसा परपल बाग, अर्का निधि, के. एस. उडा, के.एस. 224 एवं पंजाब सदाबहार मुख्य है।

बीज दर
बैंगन की खेती के लिए विभिन्न किस्मों के लिए 375 से 500 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर के लिए आवश्यक होता है।

बीज बुवाई का समय
बैंगन की खेती के लिए बीजों को पहले नर्सरी में बोकर पौधा तैयार की जाती है। रबी, खरीफ एवं ग्रीष्म मौसम के लिए अलग-अलग समय है। रबी फसल के लिए जून माह में बीजों को नर्सरी में बोया जाता है। लगभग एक महीने में पौधा तैयार होता है। इसके बाद जुलाई में पौधों को मुख्य खेत में लगा दिया जाता है। ग्रीष्मकालीन फसल के लिए बीज की बुवाई नवम्बर में की जाती है और पौधों को जनवरी-फरवरी में प्रतिरोपित कर दिया जाता है। इसी तरह से खरीफ फसल के लिए बीज की बुवाई मार्च माह में और पौधों को मुख्य खेत में अप्रैल माह में लगा देना चाहिए।

पौधा रोपण
नर्सरी में तैयार चार से पाँच सप्ताह के पौधों को रबी और खरीफ में कतार से कतार की दूरी 60 से.मी. और पौधो से पौधो की दूरी 45 से.मी. पर लगाना चाहिए। ग्रीष्म कालीन फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 75 से.मी. और पौधो से पौधो की दूरी 60 से.मी. रखते है। पौधा रोपण सदैव शाम के वक्त करें और इसके तुरंत बाद की सिंचाई अवश्य रहे।

निराई-गुड़ाई
बैंगन की खेती में निराई-गुड़ाई बहुत आवश्यक है। इससे जहाँ खरपतवार का नियंत्रण होता है वहीं पौधों की जड़ों का विकास भी होता है। खरपतवार रहने से रोग एवं कीटों का प्रकोप बढ़ता है।

सिंचाई
बैंगन की खेती में सिंचाई का बहुत महत्व है। नमी की कमी होने पर सिंचाई करते रहना चाहिए। सिंचाई इस तरह से करें कि खेत में अधिक समय तक जल जमाव न रहे। साथ ही बैंगन के पौधो के चारों ओर मिट्टी चढ़ा दें इससे पानी तने से थोड़ा दूर रहेगा।

खाद एवं उर्वरक
बैंगन की फसल में खाद और उर्वरक की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि यह लम्बे समय की फसल है। लगभग 20 टन गोबर की सड़ी खाद अथवा 03 टन वर्मीकम्पोस्ट खेत की तैयारी के समय बिखेर कर मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसी समय 5 क्विंटल नीम खल्ली, 15 किलोग्राम जिंक और 10 किलोग्राम बोरॉन मिट्टी में मिलायें। उर्वरक में नेत्रजन 120 से 150 किलोग्राम, फास्फोरस 80 किलोग्राम एवं पोटाश 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से देना लाभदायक होता है।

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