कामलिया कीट " का प्रकोप वितग वर्षों में होता आया है। इस कारण से खरीफ की मुख्यतया सोयाबीन फसल मे अधिक नुकसान की संभावना बनी रहती है। कामलिया कीट का जीवन चक्र मानसून की पहली वर्षा के साथ शुरू होता है। यह तितली पलाश के पत्तो के पृष्ठ भाग पर अण्डे देता है जो वर्षा में कुछ समय की खेंच अवर्षा की स्थिति में ईल्ली के रूप में परिवर्तित हो कर नवांकुरित सोयाबीन फसल के पौधों को खा कर नष्ट कर देती है।
इसी प्रकार आर्मी वर्म एक बहु भक्षी कीट है परन्तु मक्का इसकी सबसे पसंदीदा फसल है, इस कीट के पतंगे हवा के बहाव के साथ 100 किलोमीटर तक प्रवास कर सकते है तथा इसकी प्रजनन् क्षमता बहुत अधिक होती है इसकी मादा अपने जीवनकाल मे 1 से 2 हजार तक अंडे दे सकती है।
इस कीट का झुंड आक्रमण कर एक रात मे क्षैत्र की पूरी फसल नष्ट कर सकता है। इसकी ईल्लियां अण्डो से निकल कर छोटी छोटी पत्तीयों के हरे भाग को खुरच - खुरच कर खा जाती है, जिससे पत्तियो मे छोटे- बडे छेद कर नुकसान पहुंचाती है।
इसकी ईल्लियां - भुट्टों / मंजरीयो को खा कर भी नुकसान पहुचाती है। विगत वर्षों मे आस पास के राज्यों में इसका प्रकोप बहुत रहा है एवं इस बार इसके प्रकोप की संभावना प्रदेश में बन रही है।
अतः ऐसे करें नियंत्रण
1. लाईट ट्रेप का उपयोग करें या रात्री मे खेतो के मेढो पर अलाव जलावे।
2. फ्युजीपरडा फिरोमोन प्रपत्र 15 हेक्टेयर का उपयोग करें।
3. उर्वरकों का सन्तुलित मात्रा में उपयोग करें।
4. फसलों / पलाश के पत्तों के पृष्ठ भाग पर अण्डे दिखाई देने पर एकत्र कर नष्ट करें।
5. टी. आकार. की खुटीयां लगाएं ताकि उस पर पक्षी बैठ कर इस कीट की ईल्लियो को खा कर नष्ट कर देवे।
6. ग्रसित फसल की पोगली मे बारीक सूखी रेत, राख अथवा बुरादा डाल दे।
7. प्रकोप की प्रारम्भिक अवस्था मे नीम तेल 10000 पी पी. एम या एन. एस. के. ई. 5 % का एक लीटर / हैक्टेयर छिडकाव करें।