बीज का चयन सावधानीपूर्वक करें। इसके लिए आधारित व प्रमाणित बीजों का ही प्रयोग करें, जिनमें पूर्ण जमाव, किस्म की शुद्धता एवं स्वस्थ होने की प्रमाणिकता होती है।
धान की पौध तैयार करने के लिए 8 मीटर लम्बी एवं 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बना लेते हैं। जब तक नव पौध हरी न हो जाए, पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए तथा शुरू के 2-3 दिन अंकुरित बीजों को पुआल से ढके रहने दें। इसके बाद पानी की पतली सतह के साथ संतृप्त से गारे वाली स्थिति बनाए रखने के लिए नर्सरी क्यारियों के ऊपर अंकुरित बीजों को समान रूप से छिड़क दें।
धान की नर्सरी के लिए मध्यम आकार की प्रजातियों के लिए 40 कि.ग्रा., मोटे धान के लिए 45 कि.ग्रा. तथा बासमती प्रजातियों के लिए 20-25 कि.ग्रा. बीज पर्याप्त होता है। धान के बीज को बोने से पूर्व 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम या थीरम से बीजोपचार कर लेना चाहिए। जहां पर जीवाणु झुलसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो वहां पर 25 कि.ग्रा. बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लान्टोमाइसीन को मिलाकर पानी में रातभर भिगो दें। 24-36 घंटे तक जमाव होने दें बीच-बीच में पानी का छिड़काव करते रहें तथा दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी डाल दें।
स्वस्थ एवं रोगमुक्त पौध तैयार करने के लिए उचित जल निकास एवं उच्च पोषक तत्व मुक्त दोमट मिट्टी सिंचाई के स्रोत के पास पौधशाला का चयन करें। बुआई के एक महीने पहले नर्सरी की तैयारी की जाती है। नर्सरी क्षेत्र में 15 दिनों के अन्तराल पर पानी देकर खरपतवारों को उगने दिया जाए तथा हल चलाकर या अवरणात्मक खरपतवारनाशी जैसे कि पैराक्वाट या ग्लाइफोसेट का । कि.ग्रा./हैक्टर छिड़काव करके खरपतवारों को नष्ट कर दें। ऐसा करने से धान की मुख्य फसल में भी खरपतवारों की कमी आयेगी नर्सरी क्षेत्र को गर्मियों (मई-जून) में अच्छी तरह 3-4 बार हल से जुताई करके खेत को खाली छोड़ने से मृदा संबंधित रोगों में काफी कमी आती है।
अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए संतुलित पोषक तत्वों के उपयोग से नवपौध की अच्छी बढ़वार, स्वस्थ एवं ओजपूर्ण/पर्याप्त पोषण मिलना जरूरी है। 1000/- वर्गमीटर क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद 10 कि.ग्रा. डाइ- अमोनियम फॉस्फेट तथा 2.5 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट जुताई से पहले मृदा में अच्छी तरह मिलाने के बाद में बुआई करें। 10-12 दिनों के पश्चात यदि पौधों का रंग हल्का पीला हो जाए तो एक सप्ताह के अन्तराल पर दो बार 10 कि.ग्रा. यूरिया / 1000 मी. की दर से मिट्टी की ऊपरी सतह पर मिला दें, जिससे पौध की बढ़वार अच्छी होगी।
बुआई के 1-2 दिन बाद पायराजोसल्फ्यूरॉन 250 ग्राम प्रति हैक्टर की दर से पौध निकलने के पूर्व छिड़काव करें। इसके लिए शाकनाशी को रेत में (10-15 कि.ग्रा./ 1000 मी.) मिलाकर उसे नर्सरी क्यारियों पर एक समान रूप से फैला दें तथा हल्का पानी (1-2 सें.मी.) क्यारियों में भरा रहने दें, जिससे खरपतवारनाशी एक समान क्यारियों में फैल जायें।