बरसीम फसल - सितंबर में लगी फसल , नवंबर से मई तक 4 - 6 कटाइयों में 300 - 370 क्विंटल हरा चारा देती है , जिसे पश बड़े चाव से खाते हैं तथा अधिक दूध देते हैं। इसे हल्की खारी मृदा में भी उगाया जा सकता है।
बरसीम की प्रजाति वरदान , मेस्कावी , टी - 5 , टी - 26 . टी - 780 आदि की बुआई मध्य सितंबर से 30 नवंबर तक कर दें। बरसीम का 25 - 30 कि. ग्रा. बीज प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करें। बुआई से पूर्व बीज को कल्चर से उपचारित करें। बरसीम की फसल की बुआई के समय 25 कि . ग्रा . नाइट्रोजन व 50 कि. ग्रा. फॉस्फोरस का प्रयोग करें।
अगेती बोयी गयी चारे वाली फसलों की कटाई समय से करें।
ग्वार, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि चारे वाली फसलों में वर्षा न होने अथवा सूखे की स्थिति होने पर हल्की सिंचाई अवश्य करनी चाहिए।
बहुवर्षीय घासों में कटाई के पश्चात 30 - 40 कि. ग्रा . नाइट्रोजन प्रति हैक्टर का छिड़काव अवश्य करें। पशुधन की आवश्यकतानुसार के लिये रोपी गई बहुवर्षीय नेपियर , गिनी , सिटेरिया की कटाई करें। वर्षा के जल की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहती है। इन घासों को स्वयं के ज्ञान के आधार पर अंतराल निर्धारित कर आवश्यकता अनुसार पानी दे और बराबर कटाई करते रहें।