क्षेत्र विस्तार दृष्टिकोण
चने की फसल के अंतर्गत अतिरिक्त क्षेत्रफल बढ़ाने की संभावना सीमित है। इस फसल का क्षेत्रफल अंतरवर्ती , रिले या क्रमबद्ध फसल प्रणाली से बढ़ाया जा सकता है। देश में उपलब्ध धान - परती क्षेत्रों को धान - चना फसल प्रणाली में लाया जा सकता है। इसी प्रकार गंगा के मैदानी इलाकों में बहुत सी फसल प्रणालियां प्रचलित हैं। इनमें सर्वाधिक क्षेत्रफल धान - गेहं फसल प्रणाली का है। इस क्षेत्र में चने की फसल का विस्तार, बेहतर प्रजातियां एवं आदान तथा साथ में यांत्रिक कटाई तकनीक के माध्यम से करने की पूरी संभावनाएं हैं। इसी प्रकार कपास - चना फसल प्रणाली , चना + सरसों और चना + गन्ना अंतरवर्ती फसल के माध्यम से देश के उत्तर - पश्चिमी मैदानी इलाकों में क्षेत्र विस्तार किया जा सकता है।
उत्पादन बढ़ाने के प्रयास
प्रजनन के माध्यम से प्रजाति विकास की निरंतर आवश्यकता है। वर्तमान में प्रचलित चने की किस्मों में फ्यूजेरियम और एस्कोचिटा झुलसा ( ब्लाइट ) का प्रकोप अधिक होता है। अत : इन प्रजातियों का प्रतिस्थापन कर प्रतिरोधी प्रजातियां प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है। चने की फसल की खेती लगभग 70 प्रतिशत वर्षा आधारित क्षेत्रों में होती है। अत: इन क्षेत्रों के लिए अधिक तापमान, सूखा सहिष्णु अधिक उपज देने वाली तथा फलीछेदक प्रतिरोधी किस्मों के विकास की आवश्यकता है।
भविष्य की आवश्यकता
1. अंतरवर्ती फसल के लिए चने की प्रजाति विकसित करने की आवश्यकता है । छाया में बेहतर उत्पादन क्षमता , सीधी बढ़ने वाली, अधिक आदान प्रयोग नहीं करने पर भी अधिक उत्पादन देने में सक्षम होनी चाहिए।
2. वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए ज्वार , बाजरा , सोयाबीन और मक्का की फसल के क्रम में चने की अधिक सूखा और ताप सहनशील , उकठा , जड़सड़न प्रतिरोधी किस्मों के विकास की आवश्यकता है।
3. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असोम, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में धान - परती फसल प्रणाली के लिए अधिक सूखा और ताप सहनशील उकठा और जड़सड़न, कॉलर रॉट अवरोधी किस्मों का विकास किया जाये।
4. अंतरवर्ती फसल में खरपतवार प्रबंधन के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए उगने के उपरांत खरपतवार प्रबंधन के लिए उपयुक्त तृणनाशक की खोज करने की आवश्यकता है।
5. समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन में चने की अंतरवर्ती फसल के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन पर जोर दिया जाना चाहिए एवं पोषक तत्व प्रबंधन मृदा जांच के आधार पर ही किया जाना चाहिए।