बिना मिट्टी और जमीन के हवा में हो रही आलू की खेती, जानें इस तकनीक और आलू की नई किस्म के बारे में

बिना मिट्टी और जमीन के हवा में हो रही आलू की खेती, जानें इस तकनीक और आलू की नई किस्म के बारे में
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Kisaan Helpline

Crops Jan 09, 2024

Aeroponic Farming: आपने जमीन के अंदर आलू उगते हुए देखा या सुना होगा, लेकिन आलू प्रौद्योगिकी संस्थान, शामगढ़ में आलू जमीन या मिट्टी में नहीं, बल्कि हवा में उगाए जा रहे हैं। ये देखकर हर कोई हैरान है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके आलू की नई किस्में लगाई हैं। अब आलू प्रौद्योगिकी संस्थान, शामगढ़, करनाल के वैज्ञानिकों ने आलू की एक नई किस्म कुफरी उदय का आविष्कार किया है। जो किसानों के लिए वरदान साबित होगी। आलू की इस नई किस्म से किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और लोगों को पोषण से भरपूर आलू खाने को मिलेगा। जल्द ही आलू की यह नई किस्म किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी।

आलू की इस नई किस्म की खासियत

आलू प्रौद्योगिकी संस्थान, शामगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुफरी किस्म के आलू के लगभग 5-6 लाख मिनी कंद पैदा करने का लक्ष्य है। क्योंकि इस नई वैरायटी की बाजार में काफी मांग है। आलू की इस नई किस्म की खास बात यह है कि इसका रंग गुलाबी है और इसका उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है। भविष्य में इस किस्म की मांग काफी बढ़ेगी और किसानों को बाजारों में इसके अच्छे दाम भी मिलेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि आलू की इस नई किस्म की उत्पादन क्षमता सामान्य आलू की किस्म से 4-5 गुना ज्यादा है। इसकी खासियत यह है कि यह महज 60 से 65 दिन में तैयार हो जाता है। कुफरी किस्म का आलू पुखराज किस्म के आलू से भी प्रतिस्पर्धा कर सकता है। कम समय में अधिक उपज और अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों के लिए आलू की कुफरी उदय किस्म काफी फायदेमंद साबित होगी।

एरोपोनिक तकनीक से उगाया जा रहा आलू

खास बात यह है कि आलू वैज्ञानिक एरोपोनिक तकनीक से उगाया जा रहा है. इसे उगाने के लिए न तो मिट्टी की जरूरत होती है और न ही जमीन की। नई तकनीक से आलू की खेती करने के लिए किसान भी केंद्र पर पहुंच रहे हैं। कुफरी उदय के नाम से एक नई किस्म लगाई गई है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है। इसके उच्च गुणवत्ता वाले बीज किसानों तक नहीं पहुंच पाये हैं। इस किस्म को आलू प्रौद्योगिकी केंद्र, शामगढ़ में एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके लगाया गया है। ताकि कम पौधों में अधिक मिनी कंद पैदा कर किसान भाइयों को दिया जा सके।

हरियाणा के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी

आलू प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि आलू की इस नई किस्म का बीज लेने के लिए यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों से किसान आ रहे हैं। लेकिन संस्थान की प्राथमिकता हरियाणा के किसान हैं क्योंकि यह विशेष किस्म उन्हीं के लिए उगाई गई है, ताकि हरियाणा के किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज मिल सकें। आलू की एक नई किस्म का परीक्षण एरोपोनिक तकनीक से किया जा रहा है, जिसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इनमें कुफरी उदय और कुफरी पुष्कर किस्म फतियाबाद, सिरसा और हिसार के किसानों को काफी पसंद आ रही है।

इस तकनीक ये सब्जियां भी उगाएं

एरोपोनिक खेती केवल आलू की खेती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पत्तेदार सब्जियां, स्ट्रॉबेरी, खीरे, टमाटर और औषधीय फसलें भी पैदा की जा सकती हैं। किसानों को ऐसी कई तकनीकों की जानकारी देने के लिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम और किसान सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। अब तक कई किसान आलू अनुसंधान केंद्र की मदद से एरोपोनिक खेती कर रहे हैं। इस तकनीक से कम लागत और कम खर्च में फसल से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जाता है। कम जमीन वाले लघु-सीमांत किसानों के लिए यह तकनीक वरदान साबित हो सकती है।

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