भिंडी की फसल में लगने वाला वायरस जनित पीत शिरा रोग, जानिए रोग के लक्षण और रोकथाम के उपाय

भिंडी की फसल में लगने वाला वायरस जनित पीत शिरा रोग, जानिए रोग के लक्षण और रोकथाम के उपाय
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Kisaan Helpline

Crops Nov 17, 2022

Okra Cultivation: जैसा की आप जानते है भारत में भिंडी की खेती सभी राज्यों में की जाती है। सामान्यतः इसकी खेती गर्मी व बरसात में की जाती है। लेकिन कई बार कृषकों को इस फसल में पीत शिरा रोग से अत्यधिक आर्थिक क्षति होती है। प्रत्येक वर्ष इस रोग से किसानों की करोड़ो रुपये की फसल का नुकसान होता है। चूंकि यह एक वायरस जनित रोग है, इसलिए इस रोग का निवारण बहुत कठिन होता है। इस रोग से फसल का बचाव ही इसका समाधान है। 

पीत शिरा रोग (yellow vein disease) एक वायरस जनित रोग है। रोग के लक्षण दिखायी देते ही कृषक कीटनाशियों का छिड़काव करना शुरू कर देते हैं, परंतु इससे उन्हें लाभ नहीं होता है। इस रोग में भिंडी के पत्तों में शिराओं को छोड़कर बीच का भाग पहले चितकबरा होता है बाद में वह पीला हो जाता है। यह वायरस द्वारा पौधे की कोशिकाओं में क्लोरोफिल को प्रभावित करने के कारण होता है। जिससे पौधा भली प्रकार अपना भोजन नहीं बना पाता है। पौधों की बढ़वार रुक जाती है। यह रोग व्यापक होने पर फूलों तक पर फैल जाता है। यह वायरस रस चूसने वाले फीटों जैसे सफ़ेद मक्खी आदि द्वारा स्वस्थ पौधों में फैलता है। सफेद मक्खी, इस रोग द्वारा प्रभावित पौधे से रस चूसकर जब स्वस्थ पौधे का रस चूसती है तो उसे भी संक्रमित कर देती है। सर्वप्रथम यह रोग मुंबई में देखा गया बाद में पूरे देश में फैल गया। बरसात की फसल में इसका रोग का प्रकोप अधिक होता है। प्रारम्भ में इसके लक्षण खेत में कुछ पौधों पर दिखाई देते है जो धीरे धीरे बढ़कर पूरे खेत में फैल जाते हैं।



इस रोग का प्रबंधन इस प्रकार करें
  • भिंडी की पीत शिरा रोधी प्रजाति जैसे पूसा ए 4, काशी वरदान, काशी चमन, काशी लालिमा, काशी क्रांति का चयन करें। 
  • रोग के लक्षण दिखाई देते ही प्रभावित पौधों को समूल नष्ट कर दें।
  • खेत में स्वयं या श्रमिकों द्वारा तम्बाकू, बीडी सैनी आदि का सेवन वर्जित करें। 
  • खेत में प्रयुक्त होने वाले औज़ार / उपकरणों को फार्मेसीन से शोधित करके प्रयोग करना चाहिए।
  • बुवाई से पूर्व बीज का शोधन कार्बेण्डाजिम नामक फंदीनाशक के साथ किसी कीटनाशी जैसे एमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली/ली. मिला कर करना चाहिए।
  • प्रभावित खेत में रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए येलो स्टिकी ट्रेप (15 ट्रेप / एकद्र) का प्रयोग करना चाहिए।
  • खेत के चारों ओर या फसल के बीच में लाईन में कीट आकर्षित फसले जैसे मीठी मका, मल्टीकट चरी, नेपियर आदि को लगाना चाहिए।
  • वायरस से बचाव के लिए शुरू में डायमेथोएट दवा की 1.0 मिली /ली की दर से छिड़काव करे। प्रकोप बढ्ने पर एमिक्लोप्रिड का 0.5 मिली /ली से छिड़काव करे।

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